Monday - 15 January 2024 - 3:16 PM

रिहाना के बाद इस एडल्‍ट स्‍टार ने भी किया किसान आंदोलन को सपोर्ट, MEA का सख्त जवाब

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

केंद्र सरकार की ओर से लगाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्‍ली की सीमाओं पर पिछले करीब ढाई महीने से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन की आवाज भले ही केंद्र सरकार को नहीं सुनाई दे रही हो लेकिन अब इसकी गूंज दूसरे देशों में सुनाई देने लगी है।

 

अब किसानों के इस आंदोलन को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी समर्थन मिलने लगा है। एक-एक करके कई अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रेटियों ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया है, जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने भी इस संख्‍त जवाब दिया है।

दरअसल, पॉप स्टार रिहाना के बाद अब एडल्ट स्टार मिया खलीफा भी किसान आंदोलन के सपोर्ट में आ गई हैं। उन्होंने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर किसान आंदोलन के सपोर्ट में कई पोस्ट किए हैं। उन्होंने किसान प्रदर्शन की फोटो भी शेयर की है।

मिया खलीफा ने इंस्टा स्टोरी पर किसान आंदोलन की एक फोटो शेयर की है। इसमें एक प्रदर्शनकारी ने पोस्टर भी उठाया हुआ है, जिसमें लिखा है- किसानों को मारना बंद करो। फोटो के नीचे कैप्शन में लिखा है- किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली में इंटरनेट काट दिया। ये क्या चल रहा है।

इसके अलावा उन्होंने ट्विटर पर भी किसान आंदोलन की फोटो शेयर की है। उन्होंने किसान आंदोलन के सपोर्ट में दो ट्वीट किए हैं। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा- कौन-सा मानवाधिकार उल्लंघन हो रहा? उन्होंने नई दिल्ली के आसपास इंटरनेट काट दिया है? #FarmersProtest।

दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा- Paid actors, huh? मुझे उम्मीद है कि अवॉर्ड सीजन के दौरान उनकी अनदेखी नहीं की जाएगी. मैं किसानों के साथ खड़ी हूं. #FarmersProtest।

वहीं अब विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में अपना बयान जारी किया है। इस मामले पर विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा है, ‘सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और कमेंट्स से लुभाने का तरीका, खासकर जब मशहूर हस्तियों और अन्य लोगों द्वारा किया गया हो तो यह न तो सटीक है और न ही जिम्मेदाराना है।’

ग्रेटा थनबर्ग का किसान आंदोलन को समर्थन-किसानों के साथ एकजुटता में

विदेश मंत्रालय का यह जवाब तब आया है जब पॉप सिंगर रिहाना, क्‍लाइमेट एक्टिविस्‍ट ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिकी उपराष्‍ट्रपति कमला हैरिस की रिश्‍तेदार मीना हैरिस ने किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट किए हैं।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इन विरोधों पर अपना एजेंडा लागू करने और उन्हें पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे निहित स्वार्थी समूहों को देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। जैसा कि 26 जनवरी को देखा गया था।

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