Tuesday - 9 January 2024 - 7:48 PM

योगी राज का रिपोर्ट कार्ड पेश लेकिन ये वो हैं बड़ी घटनाएं जो उड़ा रही है BJP की नींद

पॉलीटिकल डेस्क 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने दो साल पूरे कर लिए है। दो सालों में यूपी के मुखिया योगी आदित्यानाथ ने बहुत कुछ बदलने का दावा किया है लेकिन कई मामलों में योगी सरकार सवालों के घेरे में रही है। कुछ ऐसे मामले हैं जो योगी सरकार को परेशान कर सकते हैं। बुलंदशहर हिंसा हो या फिर फर्जी एनकाउंटर इन दोनों मामलों में योगी सरकार सवालों के घेरे में रही है। विपक्ष ने योगी सरकार इन मामलों में कटघरे में खड़ा किया है। अगर दो साल के कार्यकाल पर नजर दौड़ायी जाये तो इतना तो साफ है कि योगी के लिए आगे की राह आसान नहीं है। आइए जानते योगी सरकार के कार्यकाल में कुछ ऐसी घटनाएं  जो उनके लिए परेशानी का केंद्र बनी रही है:

कासगंज की घटना से पूरा यूपी हिल गया था

उत्तर प्रदेश का कासगंज एकाएक सुर्खियों में आ गया था। पिछले साल जनवरी का महीना कासगंज के लिए बेहद खौफनाक रहा। गणतंत्र दिवस के दिन झंडा यात्रा हिंसा में बदल गई थी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा यात्रा में गीत बजाने और नारेबाजी को लेकर दो गुटों में जमकर बवाल हुआ था। इतना ही नहीं गोली तक चली थी जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी। इस पूरे मामले में योगी सरकार नाकाम साबित हुई थी। मामला तब और बढ़ गया जब पुलिस पर एकतरफ एक्शन लेने का आरोप लगा। विपक्ष ने भी योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा था।

फर्जी एनकाउंटर पर भी योगी सरकार सवालों के घेरे में रही

अखिलेश सरकार के जाने के बाद से योगी लगातार कानून-व्यवस्था को सही करने की बात करते रहे हैं। इस दौरान योगी सरकार ने अपराधियों को सबक सिखाते हुए ताबड़तोड़ एनकाउंटर करने शुरू कर दिये। इसके बाद योगी सरकार पर आरोप लगा कि एनकाउंटर के नाम पर फर्जी खेल चल रहा है। कुछ लोगों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप भी लगाया। विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केवल अपने फायदे के लिए फर्जी एनकाउंटर किये जा रहे हैं। इस दौरान अलीगढ़ में हुए दो एनकाउंटर भी सवालों के घेरे में रहा।

इस एनकाउंटर को लेकर मीडिया को मौके पर बुलाकर शूटिंग करवाई गई। इसमें नौशाद नामक युवक की मां ने आरोप लगते हुए कहा कि उसके बेटे को घर से उठाकर पुलिस ले गई थी और बाद में उसका एनकाउंटर कर दिया गया। हालांकि पुलिस ने इस तरह के आरोप को खारिज कर दिया था लेकिन विपक्ष इस मामले में योगी सरकार जमकर निशाना साधा था।

बुलंदशहर हिंसा : इंस्पेक्टर की हत्या ने मचा दिया बवाल

बुलंशहर के गांव महाव में गोकशी की घटना के बाद जो हुआ उसके बाद पूरा यूपी दहल गया था। पुलिस को तीन 3 दिसंबर, 2018 को महाव में गोकशी की सूचना मिली थी। इसके बाद पुलिस ने वहां पर धावा बोला था। इस दौरान स्याना थाने के प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह कई पुलिसकर्मियो को लेकर सरकारी टाटा सूमो यूपी13 एजी 0452 से वहां पर पहुंचे थे। इसके बाद एकाएक वहां पर भीड़ जमा हो गई थी। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार मौके पर पहुंचकर मामले को शांत कर रहे थे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज और उनके साथियों ने मिलकर पुलिस पर हमला बोल दिया। इसी दौरान इंस्पेक्टर सुबोध की पिस्टल और मोबाइल लूट ली गई थी। इसी दौरान उन्हें गोली भी मार दी गई जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे जिले में दहशत का माहौल था जबकि पुलिस और सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है।

लखनऊ में एप्पल के अधिकारी को मार दी गई गोली

जहां एक ओर सूबे में अपराधी पुलिस को चुनौती दे रहे थे तो वहीं दूसरी ओर योगी की खुद की पुलिस भी कम नहीं थी। लखनऊ के पॉश इलाके में एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी को गोली मार दी गई। गोली मारने वाले कोई शातिर अपराधी नहीं था बल्कि यूपी पुलिस के कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी था। इस मामले में सरकार और यूपी पुलिस भी सवालों के घेरे में रही है।

सहारनपुर में जातीय हिंसा भी यूपी सरकार के लिए मुसीबत बनी

साल 2017 में यूपी के सहारनपुर जनपद में जातीय हिंसा ने यूपी सरकार नींद उड़ा दी थी। यहां पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अपमान होने पर दलित और क्षत्रिय आपस में लड़ गए थे। पुलिस को मामला शांत करने में पसीने छूट गए थे। मामला तब और बढ़ गया था जब बसपा सुप्रीमो मायावती शब्बीरपुर गांव का दौरा किया था। इसके बाद वहां पर फिर हिंसा भडक़ गई थी। इस मामले में भी यूपी सरकार और पुलिस पर कई तरह के सवाल उठाये गए थे।

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