Sunday - 7 January 2024 - 1:54 PM

क्या बिहार की राजनीति में कोई अंडर करंट दौड़ रहा है

जुबली न्यूज़ डेस्क

बिहार की राजनीति में इन दिनों बड़ी उठापटक चल रही है। विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति दल और नेता दोनों ही अपने भविष्य को लेकर नए समीकरण बनाने में जुटे हैं। सूबे में दबाव और दलित राजनीति का खेल जारी है। इसी कड़ी में नीतीश सरकार से हटाए गए मंत्री श्याम रजक ने आज राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने श्याम रजक को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

आरजेडी में शामिल होने के बाद श्याम रजक ने कहा कि मैं अपना घर में वापस आकर भावुक हो रहा हूं। वापस आकर फिर से सामाजिक न्याय लड़ी जाएगी। वहीं तेजस्वी यादव ने कहा कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे नीतीश जी ने ठगा नहीं। नाम गिनवाएंगे तो पूरी किताब भर जाएगी।

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उन्होंने आगे कहा कि सत्ताधारी दलों में नाराजगी है। चाहे सीएए हो, सीएए हो या ट्रिपल तलाक का मामला हो, या फिर ओबीसी के आरक्षण को खत्म करने की कोशिश हो, लेकिन नीतीश कुमार सिर्फ कुर्सी के लिए हर समझौता कर रहे हैं।

बता दें कि श्याम रजक राज्य में महादलित समाज के चर्चित चेहरा हैं। वह दलित-मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति करते रहे हैं। श्याम रजक खुद महादलित कैटेगरी से आते हैं। फुलवारी शरीफ विधानसभा सीट पर महादलित खासकर रजक समाज निर्णायक वोटर हैं। इसके अलावा इस सीट पर मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्याम रजक की कमी को पूरा करने के लिए जेडीयू जीतन राम मांझी को अपने साथ जोड़ सकती है। क्योंकि मांझी कई बार तेजस्वी यादव का नेतृत्व स्वीकारने से इनकार कर चुके हैं।

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इसी बीच सत्तारूढ़ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन के दो दलों लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच सम्बंधों में दिनोंदिन तल्ख़ी बढ़ती जा रही है।

लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने शनिवार को अपने पार्टी के नेताओं के साथ पटना में बैठक की। इस बैठक के बाद चिराग ने कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी लेकिन उनके नज़दीकी लोगों के अनुसार उन्होंने कोरोना से सम्बंधित राज्य सरकार की नाकामियों को उजागर करते रहने के लिए कहा और साथ ही जनता दल यूनाइटेड के किसी भी नेता द्वारा अगर चिराग पासवान या रामविलास पासवान के खिलाफ़ कोई प्रतिक्रिया दी जाती है तो उसका भी जवाब देने के लिए निर्देश दिया गया है।

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चिराग पासवान के नजदीकी लोगों का कहना है कि अगर उन्हें मन मुताबिक सीटें नहीं मिलीं तो लोजपा आगामी चुनाव में छोटे दलों के साथ जा सकती है।

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