Saturday - 6 January 2024 - 4:39 PM

धार्मिक मुद्दो,भटकाव और तीसरे के लिए अब स्थान नहीं

डॉ.सीपी राय

कर्नाटक के चुनाव परिणाम की तस्वीर साफ हो चुकी है । यद्धपि मैने तो 2 मई को ही लिख दिया था की कांग्रेस कम से कम 122 से 132 तक सीट जीतेगी और JDS 25 के आसपास होगी बाकी बांट लीजिए।

ये चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण भारत के बड़े प्रदेश का चुनाव था और एक ऐसे प्रदेश का चुनाव था जहा राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा में अच्छा समय दिया ,एक ऐसे प्रदेश का चुनाव था जहा के नेता मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए है और स्वाभाविक तौर पर प्रधानमंत्री पद हेतु एक मजबूत चेहरा है।

जिस तरह से प्रधानमन्त्री मोदी जी ने चुनाव खुद बनाम कांग्रेस बना दिया और यहां तक बोल दिया की एक शाही परिवार देश के सम्मान और सुरक्षा से समझौता कर रहा है , विदेशी दूतों से गोपनीय मुलाकात करता है और नही चाहता की कर्नाटक भारत में रहे ,साथ ही भारत की जय या भाजपा की जय के बजाय बजरंगबली की जय का नारा लगवा रहे थे तो इस बात का भी चुनाव था की मोदीजी का आकर्षण अब कितना है।

इस बात भी चुनाव था की अमित शाह जी का चाणक्य ज्ञान अब कितना प्रखर है और इस बात का भी चुनाव था की आर एस एस जिसके बारे में हर जीत के बाद दावा किया जाता है की उसका संगठन गांव गली तक है और वही भाजपा की जीत का आधार है उस आर एस एस की असल में सच्चाई और ताकत क्या है ।

जिस तरह एकजुट होकर और आक्रामक होकर पिछले 15 /20 साल में पहली बार काग्रेस लड़ती हुई दिखी और एजेंडा सेट करती दिखी तो चुनाव इस बात का भी था की क्या कांग्रेस सत्ता मोड से बाहर निकल कर विपक्ष बन चुकी ,क्या कांग्रेस में मुद्दो को पहचान लिया है और क्या राहुल गांधी ,प्रियंका गांधी सहित सभी नेताओ ने जनता की भाषा और समझ को समझ लिया है।

आज जो भी “ना काहू से दोस्ती ,ना काहू से बैर ” की तर्ज पर समीक्षा करेगा उसकी कसौटियां निश्चित तौर पर यही होनी चाहिए । यद्धपि फैसला तो जनता ही करती है और हर जीत जनता की ही होती है परंतु जीत के कारकों में संगठन ,कार्यकर्ताओं की मेहनत और नेतृत्व की रणनीति , भाषा , आक्रमण ,मुद्दो को श्रेय दिया जाता है।

इस बार इस मामले में निश्चित तौर पर कांग्रेस इक्कीस साबित हुई है और कांग्रेस नेतृत्व ने कोई भी गलती नही किया जबकि भाजपा घबरा कर फिर धार्मिक मुद्दे की तरफ मुड़ गई बिना ये समझे की कर्नाटक पढ़ा लिखा प्रदेश ही नहीं है बल्कि आई टी का हब है।

मेरे जानने बालो ने बताया की बजरंगबली का चुनाव और सभाओं में प्रयोग करना वहा की जनता को रास नहीं आया विशेषकर नौजवानों को जिनकी आबादी करीब 65% है।

वहा लोगो को ये चुभा की बंगलोर से दिल्ली की सरकार इतने दिनो से चलाने वालों को चुनाव अपने काम पर लड़ना चाहिए तथा जनता को पिछले चुनाव के वादे बताते हुए बताना चाहिए कि उनमें से क्या क्या पूरा कर दिया और क्या क्या और कर दिया जो नही कहा था । पर उसके स्थान पर ये फिसलन जनता को पसंद नही आई।

यद्धपि चुनाव में दोनो पक्षों ने पूरी तटकत झोंक दिया था तथा अपने अपने हर हथियार को इस्तेमाल किया तो परिणाम स्वरूप ऐसे स्थानों पर वोट परसेंटेज भी बढ़ता है और जानें वाला भी उसका ठीक ठाक साझीदार हो जाता है ।हो सकता है अंतिम परिणाम आने पर यही तस्वीर दिखलाई पड़े।

2018 में भाजपा को 36,43 % वोट पड़ा जबकि कांग्रेस को 35,71% तो जे डी एस को 26,52 % वोट पड़ा जबकि इस बार कांग्रेस को 43% से ज्यादा ,भाजपा को 35,81 और जे डी एस को 13,37% वोट आता नजर आ रहा है । इसका अर्थ है की कांग्रेस ने करीब 8% वोट की बढ़त हासिल किया है तो भाजपा ने ना के बराबर वोट खोया तो जे डी एस ने करीब 3 % वोट खोया है । कांग्रेस की 55 सीट बढ़ी जो 1989 के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा तो भाजपा ने 38 और जे डी एस ने 18 सीट खोया और 1 सीट अन्य के खाते में भी गई।

एक चीज ये भी दिखलाई पड़ रही है इधर के चुनावो में जो पिछले कुछ समय में हुए है कि जनता तीसरे लोगो को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है और न वोट खराब करना चाहती है तथा न खरीद फरोख्त और आया राम गया राम के लिए दरवाजे खोलना चाहती है।

उत्तर प्रदेश , बंगाल , बिहार सहित कई प्रदेशों में ऐसा ही दिखा। कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के आसार का सम्मान भी हुआ है पर उतना ही की वो सारा के साथ मोलभाव न कर सके।

ये चुनाव यद्धपि प्रदेश का चुनाव है लेकिन आने वाले प्रदेशों के चुनाव के साथ साथ देश के चुनाव को भी प्रभावित करने वाला साबित होगा क्योंकि इस परिणाम से देश की दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस में अविश्वास बढ़ेगा तो उसका नेतृत्व भी मजबूत होगा और अभी तक उससे बात न करने वालो को भी पुनः विचार करने को मजबूर करेगा।

खरगे साहब का प्रदेश होने के कारण और सिद्धरमैया तथा शिवकुमार की एकता का परिणाम लोकसभा में कर्नाटक से अधिकतम सांसद कांग्रेस के होगे ऐसा अभी से समझा जा सकता है।

आने वाले चुनाव में जहा चंद्रशेखर राव मजबूत दिखेंगे वही मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ और राजस्थान मजबूती से कांग्रेस को कर्नाटक का फल देने की सोचेगा और यदि कही राहुल गांधी ने खुद को प्रधान मंत्री की दौड़ से बाहर बताते हुए ये कह दिया की 77 साल होने को है और अब देश को एक दलित प्रधान मंत्री चुन लेना चाहिए तो उम्मीद की जा सकती है की 2024 में कांग्रेस की सुनामी देखने को मिलेगी।

थोड़ी देर पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी ने बहुत सधा हुआ बयान दिया और जीत को जनता की जीत बताया तो राहुल गांधी ने जीत को जनता की जीत बताया तथा इस जीत को गरीब जनता की जीत बताते हुए अगले सभी चुनावो और लोकसभा चुनाव का एजेंडा अभी से सेट करते हुए दिखलाई पड़े और अपनी भारत जोड़ो यात्रा को भी चुनाव से जोड़ने से नही चुके जब उन्होंने कहा की जनता ने नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान खोल दिया है ।

जबकि डी के शिवकुमार ने जनता की जीत तो कहा ही साथ ही भावुक होते हुए कहा की उन्होंने सोनिया जी को किया गया बड़ा पूरा किया है और इस जीत में उन्होंने सोनिया जी राहुल गांधी प्रियंका गांधी , सिद्धारमैया सहित सभी नेताओ ,सम्पूर्ण संगठन और कार्यकर्ताओं की जीत बताया।

एक विशेष बात देखने को मिली की कांग्रेस के सभी नेता तथा प्रवक्ता बहुत ही विनम्र और साधो हुई प्रतिक्रिया दे रहे है । उसमे बिलकुल भी उत्तेजना और भाजपा जैसा अहंकार दिखलाई नहीं पड़ रहा है जबकि भाजपा की तरफ से आने वाले लोग अभी भी हार को विनम्रता से स्वीकार करने के स्थान पर लीपा पोती करते दिखलाई पड़ रहे है।

यदि कांग्रेस ने यही रवैया रखा ,विनम्रता बरकरार रखा और पैर को जमीन पर रखा तथा दिमाग ठंडा रखा तो निश्चित ही कांग्रेस आगामी चुनाओ में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित होने का रही है ।फिलहाल उम्मीद की जानी चाहिए की कांग्रेस नेतृत्व संयत व्यवहार करेगा और तुरंत गंभीरता से आगे के मुद्दो पर काम शुरू कर देगा।

(स्वतंत्र राजनीतिक विचारक)

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com