Sunday - 27 October 2024 - 11:54 PM

किसान आन्दोलन के वो कदम जो सरकार की मुश्किलें बढ़ाएंगे

प्रमुख संवाददाता

लखनऊ. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली बार्डर को घेर रखा है. केन्द्र सरकार के साथ इस मुद्दे पर पांच दौर की बात हो चुकी है. पांच दौर की बातचीत के बाद भी हालात जहाँ के तहां हैं. न सरकार झुकने को तैयार है न किसान ही अपने आगे बढ़े हुए कदम पीछे हटाने को तैयार हैं.

केन्द्र सरकार और किसानों के बीच नौ दिसम्बर को छठे दौर की बातचीत होनी है. इस बातचीत में सरकार कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव किसान नेताओं के सामने रखेगी लेकिन किसान अपनी पुरानी रणनीति के साथ सरकार के सामने पहुंचेंगे. किसानों को कोई भी संशोधन मंज़ूर नहीं है किसान किसी भी सूरत में कृषि कानूनों को वापस कराना चाहती है.

इससे पहले किसानों ने आठ दिसम्बर को भारत बंद का आह्वान किया है. आठ दिसम्बर के भारत बंद को सभी विपक्षी दलों का भी किसानों को समर्थन हासिल है. इस बंद के दौरान न सिर्फ दुकानें बल्कि हाइवे भी पूरी तरह से बंद रहेंगे.

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मालिक ने बताया कि आठ दिसम्बर का भारत बंद हमारा पहले से तय कार्यक्रम है. हमारा छह महीने का कार्यक्रम तैयार है. हम अपने कार्यक्रम के हिसाब से चल रहे हैं. आठ को भारत बंद करेंगे और नौ को सरकार से फिर बात करेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का टेस्ट लेना चाह रही है. किसान भी टेस्ट देने को तैयार है. आठ दिसम्बर को हमने व्यापारियों का आह्वान किया है कि वह 11 बजे से तीन बजे तक अपनी दुकानें बंद रखें. इस दौरान देश का किसान सड़कों पर रहेगा. अपने-अपने गाँव में किसान सड़कों पर रहेगा. सड़कें पूरी तरह से बंद रहेंगी लेकिन एम्बुलेंस, आवश्यक वस्तु ले जा रहे वाहनों और छात्रों को नहीं रोका जायेगा.

किसान आन्दोलन केन्द्र सरकार के लिए लगातार सरदर्द बनता जा रहा है. किसानों ने अपने आन्दोलन से राजनीतिक दलों को दूर रखकर शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि किसानों की लड़ाई अराजनीतिक रूप से लड़ी जायेगी ताकि उनके आन्दोलन को विपक्ष की साज़िश न कहा जा सके.

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किसानों के समर्थन में धीरे-धीरे तमाम राजनीतिक दल एकजुट हो चुके हैं. किसानों के भारत बंद को कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, और आम आदमी पार्टी ने अपना समर्थन दे दिया है. तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वामपंथी दलों के अलावा समाजवादी पार्टी भी किसानों के साथ नज़र आ रही है.

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में किसानों के समर्थन में अपना प्रदेश व्यापी आन्दोलन शुरू कर दिया है. दिल्ली सीमा पर पिछले 12 दिनों से जमे किसान कृषि कानूनों की वापसी से कम पर समझौता करने को किसी भी सूरत में तैयार नहीं हैं.

आन्दोलन कर रहे किसानों के सामने प्लस पॉइंट यह है कि विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ उनके साथ दस केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें भी शामिल हो गई हैं. एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी खुलकर किसानों के पक्ष में आ गए हैं. ज़ाहिर है कि केन्द्र के सामने चुनौती यह है कि अगर किसानों का आन्दोलन जारी रहा तो शरद पवार के ज़रिये महाराष्ट्र में, अखिलेश यादव के ज़रिये उत्तर प्रदेश में, तृणमूल कांग्रेस के ज़रिये पश्चिम बंगाल में, टीआरएस के ज़रिये हैदराबाद मे, राजद के ज़रिये बिहार में और वामदलों के ज़रिये बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल में किसान आन्दोलन को गति मिल जायेगी.

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सिन्धु बार्डर पर मौजूद किसान नेता बलदेव सिंह ने बताया कि हम सरकार से बात लगातार कर रहे हैं क्योंकि फैसला सरकार को ही करना है लेकिन अपने पूर्व निर्धारित भारत बंद को भी हम सफल बनायेंगे. उन्होंने बताया कि भारत बंद को सफल बनाने में मदद देने के लिए गुजरात से भी ढाई सौ किसान दिल्ली पहुँच रहे हैं.

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