Tuesday - 1 July 2025 - 1:29 PM

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का बदलेगा नाम, सीएम रेखा गुप्ता ने की सिफारिश

जुबिली न्यूज डेस्क 

देश की राजधानी दिल्ली में भी अब स्थानों के नाम बदलने का दौर शुरू हो चुका है। इस बार चर्चा का विषय बना है पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, जिसे दिल्ली का सबसे पुराना और ऐतिहासिक स्टेशन माना जाता है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस स्टेशन का नाम बदलकर “महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन” रखने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।

सीएम रेखा गुप्ता ने लिखा रेल मंत्री को पत्र

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक पत्र लिखते हुए नाम बदलने की सिफारिश की है। उन्होंने इसे महाराजा अग्रसेन के प्रति श्रद्धांजलि करार दिया है। अपने पत्र में सीएम ने लिखा:“मैं आपसे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम महाराजा अग्रसेन के सम्मान में बदलने की तरफ ध्यान देने का आग्रह कर रही हूं, जो एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व थे। उनकी विरासत का भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास, खासकर दिल्ली में, गहरा प्रभाव पड़ा है।”

रेखा गुप्ता का कहना है कि यह नाम न केवल महाराजा अग्रसेन के योगदान को सम्मानित करेगा, बल्कि यह दिल्ली के लाखों निवासियों की भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है।

क्यों रखा जा रहा है यह नाम?

सीएम के अनुसार, महाराजा अग्रसेन सामाजिक न्याय, आर्थिक दूरदर्शिता और सामुदायिक कल्याण के प्रतीक थे। उनका मानना है कि स्टेशन का नामकरण उनके नाम पर करना उनके स्थायी योगदान को सच्ची श्रद्धांजलि देना होगा। साथ ही, उनके अनुयायी और वंशज आज भी दिल्ली की आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

दिल्ली का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन को साल 1864 में बनाया गया था, जो कि राजधानी का सबसे पहला रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन आज भी लगभग 100 साल पुरानी इमारत में संचालित होता है।

  • स्थान: चांदनी चौक क्षेत्र

  • प्लेटफॉर्म्स: लगभग 18

  • ट्रैफिक: सैकड़ों ट्रेनें प्रतिदिन

  • महत्व: देशभर के कोने-कोने में जाने वाली ट्रेनें यहीं से निकलती हैं

इस स्टेशन का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद गहरा है, जो इसे दिल्ली की विरासत का अहम हिस्सा बनाता है।

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कौन थे महाराजा अग्रसेन?

महाराजा अग्रसेन को सूर्यवंशी क्षत्रिय वंश के एक महान शासक के रूप में जाना जाता है। वे हरियाणा के हिसार जिले के अग्रोहा के राजा थे। उन्हें समाजवाद के प्रणेता के तौर पर भी पहचाना जाता है। उनके शासनकाल में शुरू की गई ‘एक ईंट, एक रुपया’ की परंपरा आज भी मिसाल मानी जाती है।

  • नीतियां: समाज के नवगठित परिवारों को एक ईंट और एक रुपया देने की परंपरा

  • दर्शन: आर्थिक समानता, सामाजिक न्याय और सामूहिक सहयोग

  • प्रभाव: आज भी अग्रवाल समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत

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