Thursday - 11 January 2024 - 4:27 PM

रामनगरी की दो हजार बीघा जमीन को भू माफियाओं के काकस ने लील लिया 

  • भाजपा प्रवक्ता की शिकायत को पीएमओ ने यूपी सरकार को भेजा

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या। हजारों करोड़ की कीमत के जमीन के घोटाले से त्राहिमाम कर रही रामनगरी को इंसाफ के लिए प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाया गया है। अयोध्या भाजपा जिला प्रवक्ता डाक्टर रजनीश सिंह ने पीएमओ की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कराई।

पीएमओ ने आगे कि कारवाई के लिए मामले को उत्तर प्रदेश सरकार को स्थानांतरित कर दिया है। अयोध्या की लगभग दो हजार बीघा जमीन को भूमाफियों के काकस ने लील लिया है।

अयोध्या में हो रहे जमीन घोटाले पर तहलका तब मचा जब अयोध्या से भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर एसआईटी जांच की मांग की।

हालांकि सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया लेकिन भाजपा के जिला प्रवक्ता डॉ रजनीश सिंह के पत्र पर पीएमओ की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कराने से भूमाफियों के खिलाफ कारवाई की उम्मीद, दीपोत्सव के दीयों की तरह, जल उठी है।

दीपोत्सव के दूसरे दिन कारसेवक पुरम में मुख्यमंत्री ने पत्रकार वार्ता के पूर्व एक जनप्रतिनिधि को यह कहते हुए पीछे हटने को कहा था कि आपने बहुत सी जमीन खरीद ली होगी। भाजपा प्रवक्ता डॉ रजनीश सिंह मुख्यमंत्री खेमे के माने जाते हैं। पीएमओ को पत्र लिखना और मुख्यमंत्री का बयान, इसे आपस में जोड़कर देखा जा रहा है।

अब जानिए कि मामला क्या है। राम मंदिर बनने संबंधी अदालती फैसला आने के पूर्व से ही भू माफियाओं की नजर अयोध्या के नजूल भूमि पर थी। यह लगभग दो हजार बीघा जमीन है। फैजाबाद शहर की अफीम कोठी के पीछे जिसे डूब क्षेत्र कहा जाता है। वहां से लेकर हाइवे की गुमटी नंबर चार के आसपास की जमीन और माझा बरेहटा तक नजूल कि यह जमीन फैली हुई है। इस जमीन पर जिनको पट्टा मिला भी था, उनका रिन्यूअल नहीं हुआ था। गुमटी नंबर चार के पास पर्यटन नीति से बना भाजपा प्रदेश नेत्री का एक होटल भी संदेह के घेरे में है। अधिकारियों, नेताओं ने इसी नजूल जमीन को बैनामा करा रखा है।

भू माफियाओं के काकस में सफेदपोश नेता, अधिकारी, विकास प्राधिकरण, तहसील, नजूल सब शामिल हैं। हजारों करोड़ की कीमत यह दो हजार बीघे की अधिकांश जमीन पर अवैध कब्जे और अवैध निर्माण हैं।

नव्य अयोध्या बसाने के लिए शासन ने जब अयोध्या के प्रशासन से जमीन उपलब्धता की स्थिति मांगी तब पूर्व जिलाधिकारी अनुज झा ने इस संदर्भ में जांच कराई थी। शासन को भेजी अपनी रिपोर्ट में पूर्व जिलाधिकारी ने इस दो हजार बीघा जमीन के संदर्भ में वस्तु स्थिति से अवगत कराया था।

भू-माफियाओं के गठजोड़ से मुक्ति की भूमि अयोध्या अब माया की भूमि बन गई है। जिसे देखकर हर कोई भ्रमित है कि झूठा कौन है और सच्चा कौन। एक तरफ सत्ता दल के शह पर बड़े-बड़े भूमि सौदे हो रहे हैं, तो दूसरी ओर इसके विरुद्ध आवाज उठाने पर अपने ही सांसद को ‘विपक्ष’ कह दिया जा रहा है।

भूमि के बंदरबांट के इस खेल में पक्ष-विपक्ष का विचार सरयू में बह गया है। शेष बचा एक ही सत्य है कि कौन कितना लूट पाया। आज अयोध्या की पवित्रतता के सौदेबाज ही उसके सबसे बड़े रामभक्त बने हुए हैं।

नजूल की दो हजार बीघा जमीन के अलावा नगर निगम के पुरानी सीमा के साथ जो नए 41 गांव शामिल किए गए हैं इसमें स्थित झील, तालाब, नजूल, ग्राम समाज की जमीन पर कालोनियां बना दी गई है।

जमीनों की खरीद-फरोख्त हुई है जबकि नियम है कि तालाब, झील पर ना तो निर्माण नहीं किया जा सकता और ना ही कोई खरीद फरोख्त हो सकती है।

मुख्यमंत्री के बयान, सांसद लल्लू सिंह के पत्र व भाजपा प्रवक्ता का पीएमओ वेबसाइट पर शिकायत दर्ज होने से प्रशासनिक अमले में खदबदाहट है। यह भी चर्चा है कि जमीन घोटाले के प्रकरण में लिप्त अधिकारियों, नेताओं का गठजोड़ बचाव में कोई न कोई लीला जरूर करेगा।

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