Friday - 12 January 2024 - 3:25 PM

राज्यपाल ने भी माना जन भागीदारी का महोत्सव बने अयोध्या दीपोत्सव 

  • राम पैड़ी पर रामनगरी के हर घर से आए दीया, तेल, बाती..

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या। दीपोत्सव की कल्पना जब की गई थी तो उसका मूल आधार ही जनसहभागिता थी। कल्पना जब साकार हुई तो सुरक्षा बंधनों में जकड़ गई। हर किसी की चाहत है कि दीयों की संख्या के आधार पर रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड बना रहे अयोध्या दीपोत्सव में जनसहभागिता हो। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल की भी इच्छा है कि अयोध्या दीपोत्सव जनभागीदारी का महोत्सव होना चाहिए।

राम की पैड़ी पर रामनगरी के हर घर से दीया, तेल, बाती आए। मोक्षदायिनी अयोध्या कई सौ वर्षों से अपने उद्धार की बाट जोह रही थी। तमाम दुश्वारियों के बाद भी अयोध्या ना तो आस्था से डिगी और ना ही उस विश्वास से कि प्रभु एक ना एक दिन आएंगे। अब अयोध्या में विकास के नए सोपान गढ़ने की कवायद की जा रही है। दिव्य,भव्य मंदिर बनने के साथ अयोध्या को पर्यटन की दृष्टि से भी वैश्विक पटल पर उकेरने के जतन किए जा रहे हैं। वैश्विक पटल पर अयोध्या की सकारात्मक छवि गढ़ने का एक जतन दीपोत्सव भी है।

दीपोत्सव के माध्यम से अयोध्या ने वैश्विक पटल पर अपनी सकारात्मक छवि उकेरी है। सन 2017 मेंं अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, पर्यटन विशेषज्ञ आचार्य मनोज दीक्षित ने दीपोत्सव की नींव रखी।

श्री सरयू अवध बालक सेवा समिति ने सन् 2015 में ताज होटल लखनऊ में बैठक कर दीपोत्सव मनाने का निर्णय लिया था । बैठक में प्रो. मनोज दीक्षित, फिक्की चेयरमैन लक्ष्मीकांत झुनझुनवाला , इंडियन एसोसिएशन आफ टूर आपरेटर्स यूपी अध्यक्ष प्रतीक हीरा , विश्व प्रसिद्ध कथक नृत्ययांगना सुरभी सिंह टंडन एवं आशीष मिश्रा शामिल थे।

दीपोत्सव को लोकप्रिय बनाने के लिए दीपोत्सव जनक आचार्य मनोज दीक्षित ने प्रेजेंटेशन में भी कहा था कि भरतकुंड से भगवान राम की शोभायात्रा निकले और यह त्यौहार दशहरे से दीपोत्सव तक का हो।

रावण के वध और भगवान के आगमन तक का उत्सव पंद्रह दिवसीय होना चाहिए। बनारस में जैसे एक मोहल्ले से सीता आती है और एक मोहल्ले से भगवान राम आते हैं और लोगों के अंदर से जो उत्साह बाहर आता है उसका अपना अलग आनंद होता है। लोगों के दिल में उतरना पड़ेगा। राम की कल्पना में ना कोई गरीब है ना कोई अमीर है, सब बराबर हैं, कोई छोटा बड़ा नहीं है। यह काम सरकार के स्तर से होगा भी नहीं इसके लिए स्वत स्फूर्त होना पड़ेगा, संत, समाज, युवाओं को आगे आना होगा। अयोध्या को आगे बढ़ना होगा।

पांच सफल आयोजन में चार बार दिव्य दीपोत्सव ने विश्व रिकॉर्ड के साथ गिनीज़ बुक में अपना स्थान दर्ज कराया है। छठवां दीपोत्सव भी रिकॉर्ड बनाएगा ही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का व्यक्तिगत रुप से भी विशेष लगाव दीपोत्सव व अयोध्या के लिए रहता है।

सरकारी खर्च पर होने वाले दिव्य दीपोत्सव में सुरक्षा कारणों से आम जन की भागीदारी नहीं हो पाती है। छठवें दीपोत्सव के लिए दीया, बाती, तेल, लाइटिंग, स्टेज, पोस्टर बैनर, होर्डिंग्स, आतिशबाजी के साथ राम की पैड़ी पर लेजर शो के लिए टेंडर आदि की प्रक्रिया पूरी हो गई है।

छठवें दीपोत्सव के प्रतीक चिन्ह व एप का लोकार्पण कराने के लिए अवध विश्वविद्यालय का एक प्रतिनिधिमंडल राज भवन गया था। प्रतीक चिन्ह लोकार्पण के बाद राज्यपाल ने दीपोत्सव को जनभागीदारी से जोड़ने की बात कही।

राज्यपाल की इच्छा का सम्मान करने के लिए अवध विश्वविद्यालय ने अयोध्या की अवाम से तेल दीया, बाती, मोमबत्ती देने का आह्वान किया है। नोडल अधिकारी कघ तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जो लोग दीपोत्सव में सहयोग करना चाहते हैं वे दस अक्टूबर से अठारह अक्टूबर तक दीया, तेल, बाती आदि दे सकते हैं।

विश्वविद्यालय ने इसके लिए विश्वविद्यालय के पुराने प्रवेश द्वार पर सेन्ट्रल बैंक के पास कार्यालय खोला है। राज्यपाल की पहल के बाद उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह दीपोत्सव आम जन का दीपोत्सव होगा।

साकेत से निकलने वाली शोभा यात्रा भरतकुंड से निकलेगी। पूरे रास्ते हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा होगी। भरतकुंड से लेकर राम की पैड़ी तक सड़क के दोनों किनारों पर अयोध्या के पूजनीय मठ मंदिरों के मंच बनेगें। मेले का दृश्य होगा। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। तेल, बाती के साथ हर घर से कम से कम ग्यारह दीपक दीपोत्सव के नाम होगें।

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