जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। हालांकि, अभी राजनीतिक दल जातीय समीकरणों और गणित को साधने में जुटे हुए हैं और उनका पूरा फोकस इसी पर है।
चुनाव प्रचार को लेकर भी राजनीतिक दल काफी सक्रिय हो गए हैं। नई तकनीक पर आधारित वर्चुअल दुनिया में राजनीति अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही है। राज्य में फिलहाल चुनावी रैलियों और प्रचार का ज़्यादा जोर देखने को नहीं मिल रहा है, लेकिन लालू यादव से लेकर नीतीश कुमार तक, सभी नेता सोशल मीडिया पर ज़ोर-शोर से प्रचार में लगे हुए हैं।
एक से बढ़कर एक कार्टून बनाए जा रहे हैं और नई-नई राजनीतिक शब्दावलियाँ गढ़ी जा रही हैं। सोशल मीडिया पर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं। रील बनाकर या फिर पोस्टरों के माध्यम से जनता तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
सोशल मीडिया पर छोटी-छोटी क्लिप्स के माध्यम से बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी सोशल मीडिया पर तेज़ी से देखने को मिल रहा है।
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राजनीतिक दल एक-दूसरे को नसीहत दे रहे हैं। इस वर्चुअल सियासी जंग में हर नेता अपने बयानों से जवाब दे रहा है। बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि जैसे को तैसा—तीर के जवाब में तीर, गदा के जवाब में गदा, कार्टून के जवाब में कार्टून और वीडियो के जवाब में वीडियो दिया जा रहा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कभी लालू यादव कहते थे ‘ये आईटी-वाईटी क्या होता है’, लेकिन आज उनकी पार्टी ही सोशल मीडिया की इस जंग में सबसे आगे है।
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2009 में ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाया, तब नीतीश कुमार ने मजाक में कहा था – ये चीं-चीं, चें-चें क्या होता है? लेकिन बाद में उन्होंने भी इसकी अहमियत समझी और मई 2010 में ट्विटर से जुड़ गए। आज उनकी पार्टी जेडीयू सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय है। हाल ही में राजगीर में पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया के बेहतर इस्तेमाल की ट्रेनिंग भी दी है।
बिहार में भले ही इंटरनेट की सुविधा पूरी तरह विकसित न हो, लेकिन राजनीति अब इंटरनेट के जरिए जमकर हो रही है। राज्य में अभी भी डिजिटल सुविधा की कमी है, फिर भी चुनाव के समय यह दूरी कम होती दिख रही है।