Thursday - 11 January 2024 - 7:03 PM

बड़ा आरोप, अवध विश्वविद्यालय में प्राइमरी का शिक्षक बना परीक्षक

ओम प्रकाश सिंह

  • कुलसचिव की ऊंची पहुंच से व्यवस्था नतमस्तक, परीक्षा नियंत्रक का अतिरिक्त प्रभार..

अयोध्या। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में लूट, भ्रष्टाचार, मनमानी थम नहीं रही है। प्राइमरी के शिक्षक को तंत्र ने परीक्षक बना दिया। शिक्षकों पर ज्यादा नंबर देने का दबाव बनाया जा रहा है। अवैध व अपनों की नियुक्तियों का खेल जारी है। गोपनीय, परीक्षा, निर्माण कार्य, संबद्धता की फाइलें बिना मुंह दिखाई के सरकती ही नहीं। शिक्षक संघ अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पूछा है कि कब खबरिया लोगे मोरे राम।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस नगरी को सजाना, संवारना चाहते हैं जिसमें रामलला पले, बढ़े, खेले और रामराज्य स्थापित किया। राम नगरी को विश्व की खूबसूरत नगरी बनाने के मुख्यमंत्री के सपने को सरकारी तंत्र ही पलीता लगा रहा है। धार्मिक नगरी अयोध्या में भारत रत्न लता मंगेशकर चौराहे पर ज्ञान की देवी सरस्वती की वीणा स्थापित की जा रही है तो दूसरी तरफ ज्ञान के मंदिर डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में लूट, भ्रष्टाचार, अवैध नियुक्तियों के सुर तेज होते जा रहे हैं।

 

मां सरजू देवी महाविद्यालय पहाड़पुर सुल्तानपुर में गिरीश कुमार को परीक्षक बनाया गया और इन्हें कादीपुर के महाविद्यालय में कार्यरत दिखाया गया है। इसी तरह ए के श्रीवास्तव को शिवहर्ष पीजी महाविद्यालय बस्ती में भौतिक विज्ञान का शिक्षक दर्शाया गया है जबकि यह सब इन स्थानों पर कार्यरत ही नहीं हैं। हद तो तब हो गई जब प्राथमिक विद्यालय रेहली नवाबगंज गोंडा के शिक्षक अशोक यादव को दयानंद महाविद्यालय बाराबंकी में बाटनी का आंतरिक परीक्षक बना दिया गया। अनुपस्थित शिक्षकों को छात्रों को भी प्रयोगात्मक परीक्षाओं में पचानबे प्रतिशत नंबर देने का दबाव बनाया जा रहा है। जो ऐसा नहीं करता है परीक्षा नियंत्रक उसे परीक्षा कार्यों से मुक्त कर देते हैं। इसी तरह के तमाम प्रमाणित दस्तावेजों को संलग्न कर अवध विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री सहित राजपाल व अन्य जिम्मेदार लोगों को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है।

घोटालों के चलते दागी कुलपति से तीन महीने पूर्व इस्तीफा ले लिया गया था लेकिन उनका मास्टर मांइड ओएसडी वेतन उठा रहा है। अवैध नियुक्तियों की जांच एक सेवानिवृत्ति जज से कराई जा रही है जिसकी समय सीमा सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। राज्यपाल के एक आदेश का पालन करवाने के लिए राजभवन का सचिवालय अवध विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर कारवाई की मांग कर रहा है। एक कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल ने किया तो उन्होंने विश्वविद्यालय चलाने के लिए एक सलाहकार समिति का गठन कर दिया है। शासन में ऊंची पहुंच के चलते कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक के आगे सलाहकार समिति ही नहीं पूरी व्यवस्था नतमस्तक है।

पूर्व दागी कुलपति रविशंकर सिंह के हर कार्य में शामिल कुलसचिव उमानाथ, विश्वविद्यालय में पिछले पांच वर्ष से अंगद की तरह पैर जमाकर लूट, भ्रष्टाचार, मनमानी को अंजाम दे रहा है। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह ने मुख्यमंत्री को प्रमाणित दस्तावेजों के साथ कुलसचिव का काला चिट्ठा भेज कर कार्रवाई की मांग किया है। इसके पूर्व भी शिक्षक संघ अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल, सहित प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर विश्वविद्यालय में हो रही लूट और भ्रष्टाचार की घटनाओं से अवगत कराया था। जिस पर एक जांच समिति चुपचाप आई थी और एकतरफा जांच के नाम पर लीपोपोती कर निकलने के फेर में थी। भनक लगने पर शिक्षक संघ अध्यक्ष ने घेरकर अपनी बात को रखा था। जांच निष्कर्ष पर परदा पड़ा हुआ है।

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