Saturday - 26 October 2024 - 2:27 PM

डीएम के आध्यात्मिक गुरु की हत्या में लखनऊ पुलिस की भूमिका संदिग्ध

क्राइम डेस्‍क

राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल शर्मा समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों के आध्यात्मिक गुरु रहे महंत दिनेशानंद की हत्या में पुलिस प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है।

मृतक स्वामी की पत्नी खुशबू का कहना है कि हत्या के दिन कुछ पुलिसकर्मी मेरे पति को लेकर गए थे। पति की हत्या से आहत खुशबू ने रोते हुए कहा कि उनके पति की हत्या पुलिस प्रशासन की मिलीभगत का परिणाम है। 

उन्होंने सवाल किया कि आखिर, पुलिस के रहते मेरे पति की हत्या कैसे हो गई। अगर घर से पुलिसकर्मी साथ में गए थे तो फिर घटनास्थल पर क्यों नहीं गए?

दरअसल, बुधवार सुबह जमीन से जुड़े विवाद को निपटाने के लिए नायब तहसीलदार शशि त्रिपाठी, लेखपाल हरिशचंद्र और कानूनगो रामशंकर समेत स्थानीय पुलिस व राजस्व विभाग के कर्मचारी महंत दिनेशानंद के घर पहुंचे और जमीन की पैमाइश की बात कहते हुए साथ ले गए।

करीब दो साल से इलाके में नाला व ग्राम समाज की जमीन पर कब्जे का विरोध कर रहे महंत अपनी एसयूवी से चालक नंदगांव निवासी राम सुमिरन यादव के साथ नाले की विवादित जमीन पर पहुंचे। 

वहां पहले से मौजूद सुशील यादव, राकेश यादव, ग्राम प्रधान दिलीप विश्वकर्मा और पवन महंत देखते ही भडक गए और उन्‍हें घेर कर गाली-गलौज करने लगे।

इस बीच पुलिस ने सुशील यादव और उनके साथियों को वहां से दूर किया। दूसरी ओर सरकारी अधिकारियों के सामने विवादित जमीन की नपाई चल रही थी। तभी राकेश यादव और सुशील यादव ने करीब 10 राउंड से ज्यादा गोलियां स्‍वामी दिनेशानंद पर दाग दी। स्वामी के सीने में करीब चार गोलियां लगी हैं, जबकि एक सिर से पार हो गई।

हमलावरों ने जिस स्थान पर वारदात को अंजाम दिया, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उन्होंने पहले से हत्या की योजना बनाई थी।

वारदात के बाद हमलावर बाइक से भाग निकले। हालांकि, तीन घंटे बाद सरायशेख निवासी सुशील यादव और सरायशेख गांव के प्रधान दिलीप विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया।

फायरिंग के दिनेशानंद के ड्राइवर राम सुमिरन को भी गोली लगी है। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।

घटना के बाद मौके पर पहुंची स्थानीय अभिसूचना इकाई भी फेल साबित हुई। खासकर तब जब पुलिस और प्रशासन के संज्ञान में पूरा प्रकरण था और आरोपित हिस्ट्रीशीटर था। जानकारी के बावजूद प्रशासनिक अमले ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

वहीं, एसएसपी कलानिधि नैथानी का कहना है कि मुख्य आरोपित सुशील के खिलाफ जिला बदर की तैयारी थी। पांच अप्रैल से आरोपित को जिलाबदर किया जाने वाला था, लेकिन आरोपित ने इससे पहले ही वारदात को अंजाम दे दिया। आरोपित के खिलाफ पहले भी कई मुकदमें दर्ज हैं।

एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि महंत मूलरूप से सुल्तानपुर के कूड़ेभार स्थित ऊंचगांव अलीगंज के थे और लगभग दो साल से यहां चिनहट के सतरिख रोड पर संत पल्टूदास आश्रम कुटी में रह रहे थे। उनके परिवार में पत्नी खुशबू, बेटा कुशल, बेटी सौम्य और सानिध्य हैं।

आरोपित सुशील के पास पहले लंबे समय से सरकारी राशन का कोटा था। लगातार मिल रही अनियमितता की शिकायत के चलते 11 मार्च को कोटा निरस्त कर दिया गया था। एसएसपी का कहना है कि आरोपित के खिलाफ दो जनवरी को गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी हुई थी, जो न्यायालय में विचाराधीन है। यही नहीं, 23 फरवरी को उसके खिलाफ 107/116 की कार्रवाई हुई थी और बीते 24 मार्च को उसकी हिस्ट्रीशीट खोली गई थी।

 

 

 

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