जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामलों को लेकर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा:“ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और सिर्फ कोटा में ही क्यों? एक राज्य सरकार के रूप में आपने क्या कदम उठाए हैं?”जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने यह टिप्पणियाँ उस समय की जब वे IIT खड़गपुर के एक छात्र की मौत के मामले की सुनवाई कर रहे थे।
छात्र आत्महत्या के पीछे मानसिक दबाव
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या छात्रों की मौत के पीछे कोचिंग का अत्यधिक दबाव, प्रतिस्पर्धा का भय, और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा मुख्य कारण हैं?बेंच ने कहा कि आत्महत्या को व्यक्तिगत मामला नहीं समझा जा सकता — यह व्यवस्थागत विफलता को दर्शाता है।
एफआईआर में देरी और सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
IIT खड़गपुर के छात्र की आत्महत्या की एफआईआर 4 दिन बाद दर्ज की गई। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया:“ऐसे संवेदनशील मामलों में एफआईआर में देरी क्यों की गई?”कोर्ट ने संबंधित पुलिस अधिकारी से जवाब मांगा और चेतावनी दी कि इस मामले को हल्के में न लिया जाए।
SIT और टास्क फोर्स की कार्यवाही
राजस्थान सरकार ने बताया कि आत्महत्या मामलों की जांच के लिए SIT (Special Investigation Team) बनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि 24 मार्च 2024 को उसके आदेश अनुसार राष्ट्रीय टास्क फोर्स भी इन मामलों की निगरानी कर रही है।
कोटा आत्महत्याओं के आंकड़े
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2024 में अब तक 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं
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NEET और JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र सबसे अधिक प्रभावित
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इनमें से कई छात्र हॉस्टल या किराए के कमरों में रहते थे, मानसिक सपोर्ट की कमी थी
अगली सुनवाई और आदेश
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14 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पुलिस अधिकारी को तलब किया है
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कोर्ट ने आदेश दिया है कि जांच में तेजी लाई जाए और हर आत्महत्या केस में तुरंत FIR हो
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कोटा केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारत की परीक्षा प्रणाली का प्रतीक बन चुका है — जहां सफलता की दौड़ में कई जिंदगियां दम तोड़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह कड़ा रुख देशभर में छात्रों की मानसिक स्थिति और शिक्षा के दबाव पर सोचने को मजबूर करता है।