Sunday - 7 January 2024 - 8:49 AM

यदि सोनू सूद होता भारत का प्रधानमंत्री तो…

अविनाश भदौरिया

कोरोना महामारी के चलते मन निराश है, ये निराशा सिर्फ मेरी नहीं शायद ज्यादातर लोगों की है। एक तो रोजगार, परिवार और भविष्य की चिंता से मन दुखी है दूसरी ओर जब अपने देश के नेताओं और राजनीतिक दलों के भाषण सुनो, उनकी कार्यशैली को देखो तो मन और निराशा में डूबने लगता है।

क्या भाजपा, क्या कांग्रेस, क्या समाजवादी क्या दलितवादी और क्या साम्यवादी जिसको भी देखो सब के सब किसी सी ग्रेड फिल्म के कलाकार से कम नहीं लगते।

इनके झूठे वादों और गंदे इरादों ने इतना अविश्वास पैदा कर दिया है कि मानवता, इंसानियत और ईमानदारी जैसे शब्द सुनकर चिढ़ सी होने लगी है लेकिन जब ख़बरें पढ़ता हूँ कि बॉलीवुड के एक अभिनेता ने फलाने को घर पहुँचाया ढिकाने को खाना खिलाया तो एकबार कि लगा कोई पीआर कंपनी छवि निर्माण में लगी होगी या फिर अब इन्हें भी चुनाव वगैरह लड़ना होगा।

फिर देखता हूँ कि ये बन्दा तो लगातार एक के बाद एक नेक काम किए ही जा रहा है मानो इसने पूरी दुनिया की मदद करने का बीड़ा उठा लिया है, आखिर क्यों और इससे भी बड़ा सवाल है कि वो इतना सब कर कैसे पा रहा है?

जब सरकार के पास लोगों के इलाज के लिए बेड नहीं है। घर भेजने के लिए लोगों से किराया वसूला जाता है…बच्चों की फीस का बोझ सरकार को भारी लगता है…लम्बे समय तक सत्ता का सुख भोगने वाले विपक्षी दलों के नेता महंगे कैमरामैन को साथ लेकर भीड़ के बीच जाकर फोटो तो खींचा लेते हैं और उसे ट्वीटर पर पोस्ट कर सरकार पर निशाना साधते हैं लेकिन किसी के पास इनकी मदद के लिए कोई खास इंतजाम नहीं है….बस ट्वीट करके अपने समर्थकों को ये बताने में व्यस्त हैं कि सरकार बुरी है लेकिन खुद कितने अच्छे हैं इसका कोई हिसाब नहीं है। इनसे जातिवाद और धर्म के नाम पर जहर तो उगला सकते हैं पर किसी की निस्वार्थ मदद के नाम पर चवन्नी भी न निकले।

ऐसे में आखिर सोनू सूद को कौन सा खजाना मिल गया है कि वो निरंतर लोगों की मदद कर रहे हैं। क्या कोई उनके पास अलादीन का चिराग है ? खैर जो भी लेकिन जिस तरह सोनू सूद इस निराशा के दौर में आशा की किरण बनकर निकले हैं उसके बाद दिल तो बस यही कहता है कि यदि सोनू सूद प्रधानमंत्री बन जाएं तो कितना सुन्दर होगा भारत मेरा। कितनी खुशहाली होगी हर चेहरे में। न कोई बेरोजगारी के चलते आत्महत्या करेगा न कोई बेटी के दहेज़ की फ़िक्र करेगा न कोई किसान फांसी के फंदे से लटकेगा। न कोई बच्चा भूखा रहेगा। शायद न कोई स्त्री सड़क पर बच्चे को जन्मेगी। काश कि सोनू सूद बन जाए भारत का प्रधानमंत्री।

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