Thursday - 11 January 2024 - 2:41 PM

सोनभद्र में क्यों फैली हिंसा ?

न्यूज डेस्क

जमीनी रंजिश के चलते फैले विवाद ने सोनभद्र में दस लोगों की जान ले ली। जबकि कुछ लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गये। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां, उनका इलाज चल रहा है। इनमे से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। घटना ग्रामसभा मूर्तिया के गांव उम्भा की है। यहां दो साल पहले दो प्रधानो ने करीब सौ बीघे जमीन खरीदी थी जिस पर वो अपने समर्थकों के साथ कब्ज़ा करने गये थे। इसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया। विरोध इतना बढ़ गया कि आपस में लोगों ने बवाल कर दिया। इसमें तीन महिलाओं समेत करीब दस लोगों की जान चली गई।

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार विवाद के दौरान लोगों ने आपस में असलहे और गडासा चलाना शुरू कर दिया इसमें कई लोग घायल हो गए। इसके अलावा ग्रामीणों ने बताया मामला सौ बीघे ज़मीन के अलावा दो जातियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद का भी है वहीं, तीसरा पक्ष राजस्व विभाग का है जिसको कई वर्षों से इस विवाद की जानकारी थी लेकिन उसके बाद भी राजस्व विभाग आंखे बंद किये हुए था

इस गांव में दो सौ बीघे जमीन का विवाद काफी समय से चल रहा था।पहले भी  कब्जे को लेकर गुर्जर (भूर्तिया) और गोड़ बिरादरी के लोगों का कई बार आमना सामना हुआ है जोकि बीच बचाव से सुलझ जाया करता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। दोनों जातियों की लड़ाई ने हिंसक रूप ले लिया। इस विवाद में उम्भा का प्रधान मुख्य रूप से शामिल है। प्रधान यज्ञदत्त सिंह अपने लोगों के साथ  बुधवार को असलहों को लेकर खेत पर कब्जा करने गए थे।

वहीं, बीते साल यज्ञदत्त ने अपने और अपने घरवालों के नाम लगभग 100 बीघे जमीन की रजिस्ट्री कराई थी। बुधवार को जब ये लोग जब खेतों की ओर निकले तो इनका ध्यान 200 बीघे जमीन पर जुताई का था। इसके विरोध में गोड़ जाति के लोग खेतों में डट गए और मामला ने तूल पकड़ लिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते दिन प्रधान करीब 30-32 ट्रालियों में दो सौ गुर्जर बिरादरियों के साथ विवादित खेत पहुंचा था। इसके बाद उन लोगों ने उसी जमीन पर जुटाई शुरू कर दी। वहीँ इस बात की जानकारी जब बिरादरी के लोगों को मिली तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू किया।

इसके बाद घटनास्थल पर गोड़ बिरादरी के लोग भी जमा हो गए। इस बीच हिंसा इतनी बढ़ गई कि गुर्जरों ने असलहे और गड़ासे से कर दिया जबकि दूसरी जाति के लोगों ने पथराव करना शुरु कर दिया साथ ही लाठी डंडे विरोधियों पर बरसाने लगे। देखते देखते खेत की जमीन खून से रंग गई और चारों और चीख पुकार मच गई।

कई पक्ष हैं शामिल

इस विवाद में केवल गोड़, गुर्जर जाति के लोग ही नहीं बल्कि दो पक्ष और हैं जिसके चलता पूरा मामला बिगड़ दिया। ऐसा पता चला है कि उम्भा गांव में 600 बीघा जमीन आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम है। जबकि इस सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन 1973 में ही समाप्त हो गया था। उसके बाद से ही खेतों का इतना बड़ा हिस्सा एक तरह से विवाद में था कि इस पर मालिकाना हक किसका है। इस जमीन को लेकर गोड़ बिरादरी के लोगों का कहना है कि लम्बे समय से वे इन खेतों की जुताई करते थे और खेती करते थे।

वहीं दूसरी तरफ गुर्जर और ग्राम प्रधान का कहना है कि उन्होंने जमीन खरीदी इसलिए कानून जुताई का अधिकार उन्हीं का बनता है। ऐसे में सवाल उठता है कि राजस्व विभाग को जब पता था कि जमीन के इतने बड़े हिस्से पर विवाद है तो उसने इसकी जानकारी प्रशासन को क्यों नहीं दी या एहतियात के कदम क्यों नहीं उठाए?

आईएएस की पत्नी और बेटी के नाम जमीन

इसके अलावा आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी का नाता एक आईएएस से जुड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, 1989 में इसी जमीन (कुल 600 बीघा) में से 100-100 बीघा जमीन आईएएस अधिकारी की पत्नी और बेटी के नाम कर दी गई। दूसरा पक्ष में यज्ञदत्त सिंह ने करीब 100 बीघे जमीन अपने नाम खरीदी थी. तीसरा पक्ष गोड़ जातियों का है जो काफी पहले से इस पर जुताई करते थे और अपनी मिल्कियत का दावा करता है। हालाँकि, मामला विवाद के चलते यह मामला कोर्ट में चला गया और इस पर मुकदमा भी चल रहा था। मामला अभी एसडीएम के यहां लंबित है।

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