Wednesday - 10 January 2024 - 4:33 AM

…तो क्या कांग्रेस का ब्राह्मण कार्ड बनेगा चुनाव में हथियार

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होना है लेकिन सूबे में सियासी घमासान अभी से शुरू होता नजर आ रहा है। बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए उत्तर प्रदेश में अभी से ही नई राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यूपी में अब पहले से ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है। आलम तो यह है कि प्रियंका यूपी में अपनी सियासी जमीन को वापस पाने के लिए योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।

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इस वजह से प्रियंका गांधी सोशल मीडिया के माध्यम से योगी सरकार को आइना दिखाने से पीछे नहीं हट रही है। हालात तो ऐसे है योगी सरकार प्रियंका के बढ़ते कद से परेशान नजर आ रही है। जिसका नतीजा है कि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता आयेदिन योगी सरकार की अनैतिक कार्यवाही से परेशान है। जिसकी बानगी है कि आयेदिन प्रदेश अध्यक्ष और सैकड़ो कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी।

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इस वजह से योगी सरकार सपा- बसपा की तुलना में कांग्रेस के द्वारा उठाये गए मुद्दों पर ज्यादा फोकस करने पर मजबूर हो गयी है। बता दें कि यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी है। कांग्रेस को यूपी में दोबारा जिंदा करने के लिए प्रियंका गांधी ने यूपी कांग्रेस में कई बदलाव किए है। इसी के तहत अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस तीस साल से ज्यादा समय से सत्ता से दूर है। 2022 का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रियंका गांधी ने पुराने चेहरों पर भरोसा न करके अपनी पसंद की टीम तैयार की। इसको ध्यान में रखकर कांग्रेस ने बुधवार को अपने जिला और शहर अध्यक्षों की घोषणा की, जिसमें 4 जिलाध्यक्ष और 13 शहर अध्यक्षों के नाम शामिल हैं।

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अगर इस लिस्ट पर गौर करें तो ऐसे में ब्राह्मण चेहरों को मौका दिया गया है। यानी इस बार कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए ब्राह्मण चेहरों पर दांव लगाया है। कांग्रेस पार्टी ने लखनऊ की जिम्मेदारी वेद प्रकाश त्रिपाठी को सौंपी है। वहीं बहराइच का जिम्मा जेपी मिश्रा और गोंडा की जिम्मेदारी पंकज चतुर्वेदी को दी गई है। जबकि बदायूं के कांग्रेस जिलाध्यक्ष ओमकार सिंह होंगे।

साथ ही कांग्रेस ने बुधवार को ही 14 शहर अध्यक्षों की घोषणा। कांग्रेस आलाकमान ने गोंडा शहर की जिम्मेदारी रफीक राईनी को दी है, वहीं अशर्र अहमद को बदायूं शहर अध्यक्ष बनाया गया है। पीलीभीत शहर की जिम्मेदारी मोनिंद्र सक्सेना के हाथ होगी। जबकि कासगंज शहर अध्यक्ष राजेंद्र कश्यप, मिर्जापुर शहर अध्यक्ष राजन पाठक और गोरखपुर शहर अध्यक्ष आशुतोष तिवारी होंगे।

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वहीं, जालौन (उरई) शहर का जिम्मा रिहान सिद्दीकी, आजमगढ़ शहर का जिम्मा नाजम खान और उन्नाव शहर की जिम्मेदारी अरूण कुशवाहा के हाथ होगी। कांग्रेस ने राजीव कुमार त्रिपाठी को सोनभद्र शहर अध्यक्ष बनाया है, जबकि लखीमपुर शहर की जिम्मेदारी सिद्दार्थ त्रिवेदी, मोदीनगर शहर (गाजीयाबाद) की कमान अशीष शर्मा और मुलसराय शहर (चंदौली) का जिम्मा रामजी गुप्ता को सौंपा है। अगर मुस्लिम- ब्राह्मण और एंटी बीजेपी वोट एकजुट हुआ तो बीजेपी के लिए 2022 चुनाव में काफी नुकसान हो सकता है।

गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस ने हाथ मिलाया था लेकिन उसको तगड़ा झटका लगा था और केवल सात सीटों से संतोष करना पड़ा था। वहीं पिछले साल लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद भी यूपी में कांग्रेस एक सीट पर सिमटकर रह गई थी। कहा जा रहा है कि ऐसे में योगी सरकार का कांग्रेस को तरजीह देने के पीछे अखिलेश और मायावती को नुकसान पहुंचाना हो सकता है।

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