Thursday - 11 January 2024 - 7:49 AM

तो क्या 30 साल बाद डूब जायेगी मुंबई

न्यूज डेस्क

मुंबई को लेकर एक डराने वाली रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई पर साल 2050 तक डूबने का खतरा मंडरा रहा है।

जी हां, अमेरिका की एक एंजेसी ने दावा किया है कि मुंबई और कोलकाता जैसे शहर बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।

अमेरिका की एजेंसी क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार, अगर कार्बन डाई ऑक्साइड  (CO2) के उत्सर्जन में कटौती नहीं की गई तो 2050 तक भारत के कोलकाता, मुंबई, नवी मुंबई जैसे शहर जलमग्न हो सकते हैं। इस शोध के अनुसार, सिर्फ भारत में 50 लाख के बजाए 3.5 करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं।

इस अध्ययन के मुताबिक, समुद्र के बढ़ते जलस्तर से हमारी सोच से तीन गुना अधिक खतरे की आशंका है। 2050 तक दुनियाभर के 30 करोड़ लोग ऐसी जगहों पर रह रहे होंगे जो सालाना बाढ़ से डूब जाएंगे। हाई टाइड की वजह से 15 करोड़ लोगों के घर पानी में बह जाएंगे।

29 अक्टूबर को नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में भविष्य में जलस्तर में होने वाली वृद्धि के साथ ही विश्व के बड़े हिस्सों में जनसंख्या घनत्व में वृद्धि के मौजूदा अनुमान को दर्शाया है।

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अध्ययन पर आधारित एक खबर में कहा है कि मुंबई का ज्यादातर दक्षिणी हिस्सा 2050 तक साल में कम से कम एक बार प्रोजेक्टेड हाईटाइड लाइन से नीचे जा सकता है। प्रोजेक्टेड हाईटाइड लाइन तटीय भूमि पर वह निशान होता है जहां सबसे उच्च ज्वार साल में एक बार पहुंचता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपा मुंबई का अनुमानित नक्शा

मुंबई के कई प्रॉजेक्ट पर मंडरा रहा खतरा

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कंजर्वेशन ऐक्शन ट्रस्ट के देबी गोयनका कहते हैं, ‘विकास परियोजनाओं की प्लानिंग के समय क्लाइमेट चेंज को ध्यान में नहीं रखा जाता है। कोस्टल रोड, शिवाजी स्मारक जैसे प्रॉजेक्ट पर बड़ा खतरा मंडरा है, यहां तक कि अंडरग्राउंड मेट्रो पर भी लेकिन हम यह नहीं पूछ रहे हैं कि किन परियोजनाओं का हमें निर्माण करना चाहिए।’

हालांकि पिछले अध्ययन में मुंबई में इतने बड़े स्तर पर खतरा नहीं दिखाया गया था। शुरुआती रिसर्च में शहर की नदियों के आस-पास के इलाके, ठाणे, भिवंडी, और मीरा-भायंदर के क्षेत्रों में अत्यधिक बाढ़ का खतरा बताया गया था लेकिन क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा किए गए नए अध्ययन से पता चलता है कि समुद्र के बढ़ते स्तर से अगले 30 साल में द्वीप के शहर के अधिकांश हिस्सों में साल-दर-साल बाढ़ आएगी और इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों के 2100 तक बाढ़ में डूबने का खतरा है।

सदी के अंत तक समुद्र का 0.5 मीटर तक बढ़ सकता है जलस्तर

क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार, क्लाइमेट चेंज की वजह से 20वीं शताब्दी में ही समुद्र का जलस्तर 11 से 16 सेमी तक बढ़ गया है। रिपोर्ट में इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया है कि यदि कार्बन उत्सर्जन में तत्काल कटौती नहीं की गई तो इस सदी के अंत तक जलस्तर 0.5 मीटर तक और बढ़ सकता है। हालांकि ऐसा पहले के अध्ययनों में भी कहा जा चुका है।

वियतनाम में सबसे अधिक खतरा

क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया के तटीय शहरों में करीब 15 करोड़ लोग उन जगहों पर रह रहे हैं, जो सदी के मध्य में समुद्र की लहरों के नीचे होंगी। जिन शहरों में जहां सबसे ज्यादा खतरा है, उसमें दक्षिणी वियतनाम सबसे ऊपर है।

दक्षिणी वियतनाम की करीब एक चौथाई जनसंख्या करीब 2 करोड़ लोग साल 2050 तक इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। यहां का आर्थिक केंद्र माने जाना वाला शहर हो शी मिन्ह शहर पूरी तरह समुद्र में समा जाएगा।

8 एशियाई देशों के डूबने का खतरा

रिपोर्ट के मुताबिक आठ एशियाई देशों के डूबने का खतरा है। इन देशों में जिनमें चीन, बांग्लादेश, भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और जापान में रह रहे 70 फीसदी से अधिक लोगों पर बाढ़ का खतरा है। अध्ययन के मुताबिक अब वैज्ञानिकों के सामने इन समुद्र स्तरीय अनुमानों को तटीय बाढ़ में तब्दील करने की चुनौती है।

इस शोध में सलाह दी गई है कि इन देशों को अपने नागरिकों को आंतरिक हिस्सों में बसाना शुरू कर देना चाहिए। विशेषज्ञ इसे मानवता और सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं।

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