Sunday - 11 August 2024 - 12:40 PM

शिक्षकों के बिना कौशल विकास

प्रो. अशोक कुमार

रोजगार के लिए युवाओं के कौशल विकास के नाम पर किए जा रहे नित नए दावों के बीच हकीकत यह है कि विभिन्न संस्थानो मे पिछले कई वर्षों से विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षक तक नहीं है।

विभिन्न संस्थानो ने कहा कि उन्होने केंद्र सरकार , राज्य सरकार, कौशल विकास विभाग के संबंधित अधिकारियों से सामने कई बार अपनी परेशानी रख चुके हैं।

शिक्षक की मांग करते हुए पत्र लिख चुके हैं लेकिन हमें जवाब दे दिया जाता है कि जल्दी ही भर्ती की जाएगी। किसी तरह घंटे के आधार पर शिक्षकों को पढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा है जिससे विद्यार्थी थोड़ा बहुत कुछ सीख पाए।

इस शिक्षकों को पैसे भी संस्थान अपनी ओर से दे रहा है। दाखिले ऑनलाइन किए जा रहे हैं और बाद में विद्यार्थी पढ़ने आते हैं तो उन्हें परेशानी समझ में आती है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को सिखाने पढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में सभी तरह की साधन सामग्री उपलब्ध नहीं है और जहां पर साधन सामग्री उपलब्ध है लेकिन उसका इस्तेमाल कैसे किया जाए यह सिखाने के लिए शिक्षक ही नहीं है।

न प्रशासन कई वर्षों से कह रहा है कि विद्यार्थियों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए कदम उठाए जाएंगे। प्रशासन के द्वारा यह कदम कब उठाए जाएंगे और जो विद्यार्थी इन विषयों मे बिना पढे A ग्रेड प्राप्त कर चुके हैं क्या वह रोजगार के लिए उपयुक्त होंगे ?

स्नातक स्तर पर कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन करना एक सराहनीय प्रयास है, लेकिन शिक्षकों के अभाव में इन कार्यक्रमों को चलाना कई कारणों से चिंताजनक है:

चिंता के कारण 

विषय विशेषज्ञ शिक्षक न होने से छात्रों को गहराई से समझ नहीं मिल पाती है। कई कौशल विकास कार्यक्रमों में व्यावहारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जिसे बिना अनुभवी शिक्षकों के करना मुश्किल होता है। शिक्षकों के अभाव में कार्यक्रमों की शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित होती है। शिक्षकों के अभाव में छात्रों का रुझान इन कार्यक्रमों से कम हो सकता है। बिना शिक्षकों के कार्यक्रम की सफलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

संभावित समाधान

विषय विशेषज्ञ अतिथि शिक्षकों को नियुक्त करके इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। ऑनलाइन मोड में विषय विशेषज्ञों द्वारा वीडियो लेक्चर और इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किए जा सकते हैं। छात्रों को एक-दूसरे की मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। मौजूदा शिक्षकों को कौशल विकास कार्यक्रमों को चलाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।

क्या करना चाहिए : विश्वविद्यालय प्रशासन इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान दे और उपरोक्त सुझावों को लागू करने के लिए कदम उठाए। शिक्षक संघ इस मुद्दे को उठाकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाएं। छात्र संघ इस मुद्दे को छात्रों के बीच उठाएं और विश्वविद्यालय प्रशासन से समाधान की मांग करें । इस मुद्दे को मीडिया के सामने लाएं ताकि जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित हो।

निष्कर्ष

स्नातक स्तर पर कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है, लेकिन बिना शिक्षकों के इन कार्यक्रमों को चलाना उचित नहीं है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सभी पक्षों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।

(पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय)

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