पोलिटिकल डेस्क
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और उनके अपने चाचा शिवपाल यादव में ठनती दिख रही है। सपा से किनारा कर चुके शिवपाल यादव यूपी की राजनीति से अलग-थलग नजर आ रहे हैं। शिवपाल यादव को सपा-बसपा के गठबंधन में भी जगह नहीं दी गई है। इसके बाद कांग्रेस ने उनको ज्यादा भाव नहीं दिया। शिवपाल यादव यूपी की सियासत में कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं।
आलम तो यह है कुछ छोटी-मोटी पार्टी के साथ मिलकर यूपी में ताल ठोंक रहे हैं। कल शिवपाल यादव की नई पार्टी प्रसपा ने अपना मेनिफेस्टो जारी किया था तो दूसरी ओर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव को रोकने के लिए सपा ने पूरी ताकत लगा दी थी, हालांकि उनकी इस कोशिश को कुछ खास बल नहीं मिला।
राम गोपाल यादव ने शिवपाल पर साधा निशाना
जब से शिवपाल यादव ने फिरोजाबाद से चुनाव लडऩे की घोषणा की है तब से रामगोपाल यादव भी लगातार शिवपाल को निशाना बना रहे हैं। सपा महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने शिवपाल यादव के चुनाव लडऩे पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि फिरोजाबाद में उनकी जमानत जब्द हो जाएगी। उन्होंने दावां किया है कि शिवपाल यादव 500-1000 वोट ही मिलेंगे।
अभी तक शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच नेताजी को लेकर भी खुलकर रार देखने को मिल रही थी लेकिन जब से शिवपाल यादव ने चुनाव लडऩे की बात कही है तब से सपा के कुछ लोग उनके खिलाफ बगावती तेवर दिखा रहे हैं। दरअसल फिरोजाबाद से शिवपाल यादव भी चुनाव लड़ रहे हैं। रोचक बात यह है कि उनका मुकाबला उनके भतीजे एवं सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अक्षय यादव से हैं। शिवपाल को रोकने के लिए अक्षय ने पूरा जोर लगा दिया।
इस बारे में उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी से चाचा शिवपाल यादव का नामांकन पत्र को निरस्त कराने की गुहार लगायी थी लेकिन बाद में जांच पड़ताल में होने के बाद शिवपाल यादव का रास्ता साफ हो गया है। अक्षय यादव की मांग को जिला निर्वाचन अधिकारी ने आपत्ति को खारिज कर दिया। उधर जानकारी के मुताबिक जांच में शिवपाल यादव का नामांकन सही पाया गया है।
इस दौरान जिला मुख्यालय पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। इस तरह से देखा जाये तो प्रसपा और सपा एक बार फिर आमने सामने आते नजर आ रहे हैं।