जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुल्ताना बेगम की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने खुद को मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर II के वंशज बताते हुए दिल्ली के लाल किले पर मालिकाना हक की मांग की थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से तीखे सवाल पूछते हुए कहा, “सिर्फ लाल किला ही क्यों? ताजमहल और फतेहपुर सीकरी पर भी दावा क्यों नहीं किया?”
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संयज कुमार की बेंच ने याचिका को पूरी तरह “गलत” करार देते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि 164 साल बाद इस तरह की याचिका दाखिल करना कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है।
हाईकोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी थी याचिका
सुल्ताना बेगम की याचिका पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने दिसंबर 2023 में देरी के आधार पर खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में उनके वकील ने अपील करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने याचिका गुण-दोष के आधार पर नहीं बल्कि देरी के आधार पर खारिज की थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट भी केवल उसी आधार पर खारिज करे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया।
सुल्ताना बेगम ने दावा किया कि वह बहादुर शाह जफर II के परपोते की विधवा हैं और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने उनके परिवार से लाल किला “गैरकानूनी” तरीके से छीन लिया था। उन्होंने सरकार से लाल किले पर कब्जे और मुआवजे की मांग की थी।
कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, “अगर मान भी लिया जाए कि लाल किला गैरकानूनी तरीके से छीन लिया गया था, तब भी 164 साल बाद याचिका दाखिल करना कानूनन स्वीकार्य नहीं है। याचिकाकर्ता के पूर्वज इस घटनाक्रम से हमेशा अवगत रहे हैं।”
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सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में भी उन्होंने ढाई साल बाद अपील की, जिसे अदालत ने सुनने से इनकार कर दिया। इसके बाद सुल्ताना बेगम सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली।