Wednesday - 10 January 2024 - 12:05 AM

SC का बड़ा फैसला : चुनी हुई सरकार ही दिल्ली की बॉस

  • LG नहीं, दिल्ली पर चुनी हुई सरकार का अधिकार
  • विधानसभा को कानून बनाने की शक्ति- सुप्रीम कोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट : हम 2019 में जस्टिस अशोक भूषण के फैसले से सहमत नहीं है
  • जस्टिस भूषण ने 2019 में पूरी तरह केंद्र के पक्ष में फैसला दिया था 

जुबिली स्पेशल डेस्क

दिल्ली की सियासत में एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि दिल्ली का असली बॉस कौन है। दरअसल वहां पर सीएम और उपराज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति अक्सर पैदा होती है।

दोनों एक दूसरे के खिलाफ नजर आते हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। इस फैसले पर गौर करे तो इसमें कहा गया है कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए। इससे जाहिर हो गया है कि उपराज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री ही दिल्ली का असली बॉस होगा।

चीफ जस्टिस ने संवैधानिक बेंच का फैसला सुनाते हुए कहा, दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है।

एनसीटीडी एक्ट का अनुच्छेद 239 aa काफी विस्तृत अधिकार परिभाषित करता है. 239aa विधानसभा की शक्तियों की भी समुचित व्याख्या करता है। इसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पढ़ते हुए कहा, दिल्ली विधानसभा के सदस्य, दूसरी विधानसभाओं की तरह सीधे लोगों की तरफ से चुने जाते हैं. लोकतंत्र और संघीय ढांचे के सम्मान को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 239AA दिल्ली विधानसभा को कई शक्तियां देता है, लेकिन केंद्र के साथ संतुलन बनाया गया है। संसद को भी दिल्ली के मामलों में शक्ति हासिल है।

उपराज्यपाल की कार्यकारी शक्ति उन मामलों पर है जो विधानसभा के दायरे में नहीं आते. लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को शक्ति मिलनी चाहिए।

अगर राज्य सरकार को अपनी सेवा में तैनात अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं होगा तो वो उनकी बात नहीं सुनेंगे। यह बात ध्यान देने की है कि दिल्ली सरकार ने भी कोर्ट में यही दलील दी थी।

पांच जजों की संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल रहे।
बता दें कि दिल्ली में सीएम और उपराज्यपाल में कई मौकों पर टकराव देखना पड़ता था। इतना ही नहीं किसी भी बिल को पास कराने के लिए सीएम को उपराज्यपाल की राय लेनी पड़ती थी। जब तक उपराज्यपाल पर उसपर कोई फैसला नहीं लेते थे तब तक उस बिल को पास किया जा सकता है। अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दिल्ली की सियासत में पूरी तरह से बदलाव देखने को मिलेगा।

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com