Thursday - 11 January 2024 - 1:48 AM

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का आंदोलन बुधवार को 21वें दिन में प्रवेश कर गया। दिल्ली से सटे हरियाणा के सिंघु और टीकरी बॉर्डर के साथ दिल्ली-यूपी गेट पर हजारों किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस बीच किसानों के आंदोलन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जनहित याचिकाओं में प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की अपील की गई, हालांकि तमाम दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो किसानों के पक्ष को भी सुनना चाहते हैं।

इसी के साथ किसान संगठनों को एक नोटिस जारी किया गया है, साथ ही अदालत ने सरकार-किसान और अन्य स्टेकहोल्डर्स की कमेटी बनाने को कहा है। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच का कहना है कि राष्ट्रीय मुद्दा सहमति से सुलझना चाहिए, ऐसे में जल्द से जल्द कमेटी बनाकर चर्चा हो।

अदालत की ओर से किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है, अब इस मसले पर पहले कल (गुरुवार) सुनवाई होगी फिर आगे का निर्णय होगा। सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों के साथ-साथ केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार को नोटिस भेजा है।

सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग केस का हवाला दिया गया। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये एक महत्वपूर्ण विषय है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं, जिसपर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग केस के वक्त कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए।

ये भी पढ़ें: भारत में आज भी बाल विवाह है बड़ी चुनौती

बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर चीफ जस्टिस ने वकील को टोका, उन्होंने कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है। CJI ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है।

अदालत में वकील जीएस मणि ने कहा कि मैं किसान परिवार से आता हूं, इसलिए अपील की है। जिसपर अदालत ने उनसे जमीन के बारे में पूछा, वकील ने बताया कि उनकी ज़मीन तमिलनाडु में है, जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि तमिलनाडु की स्थिति को पंजाब-हरियाणा से नहीं तोला जा सकता है।

PTI28-11-2020_000179A

चीफ जस्टिस ने अदालत में कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस दलील नहीं है। ऐसे में रास्ते किसने बंद किए हैं, जिसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं, जिसपर CJI ने कहा कि जमीन पर मौजूद आप ही मेन पार्टी हैं।

ये भी पढ़ें: भारत में आज भी बाल विवाह है बड़ी चुनौती

अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अबतक समझौता क्यों नहीं हुआ। अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है, अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए।

आपको बता दें कि कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर लंबे वक्त से डेरा जमाया हुआ है. किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, लेकिन सरकार संशोधन करने को तैयार है. किसानों और सरकार के बीच अबतक 6 दौर की वार्ता हो चुकी है, इसके अलावा किसानों ने सरकार के संशोधन प्रस्ताव को लिखित रूप से नकार भी दिया है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com