जुबिली न्यूज डेस्क
इसी साल अप्रैल-मई माह में कोरोना की दूसरी लहर में हजारों लोगों की मौत हो गई थी। इसको लेकर देश की शीर्ष अदालत ने अहम टिप्पणी की है।
शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा कि दूसरी लहर में कोरोना से हुई सभी मौत की वजह मेडिकल लापरवाही नहीं है। अदालतें यह मानकर नहीं चल सकतीं कि वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 से हुई सभी मौतें लापरवाही के कारण हुईं।

अदालत ने यह टिप्पणी मृतकों के परिजन को चिकित्सकीय लापरवाही मानकर मुआवजे का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए की।
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न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ता दीपक राज सिंह से कहा कि वह अपने सुझावों के साथ सक्षम प्राधिकारियों के पास जाएं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मानना कि कोविड-19 से हर मौत लापरवाही के कारण हुई, बहुत ज्यादा है। दूसरी लहर का पूरे देश में ऐसा प्रभाव पड़ा कि यह नहीं माना जा सकता कि सभी मौतें लापरवाही के कारण हुईं। कोर्ट यह मानकर नहीं चल सकतीं कि कोरोना से हुई सभी मौतें चिकित्सकीय लापरवाही के कारण हुईं, जैसा आपकी याचिका मानती है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून के एक हालिया फैसले का हवाला दिया, जिसमें उसने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को अनुग्रह सहायता राशि के लिए छह सप्ताह के भीतर उचित दिशा-निर्देशों की अनुशंसा का निर्देश दिया था।
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इसने कहा कि उस फैसले में अदालत ने मानवता के संबंध में अपना दृष्टिकोण रखा था न कि लापरवाही के कारण। सरकार को अब भी इस संबंध में एक नीति लानी है। यदि आपके पास उस नीति के कार्यान्वयन के संबंध में कोई सुझाव है, तो आप सक्षम प्राधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह इसे वापस लेकर उसमें संशोधन करे और यदि कोई सुझाव हो तो याचिकाकर्ता सक्षम प्राधिकारी से संपर्क कर सकता है।
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