Tuesday - 9 January 2024 - 8:46 PM

SC ने खारिज किया HC का ‘स्किन कॉन्टेक्ट’ वाला फैसला, कहा- फिर तो दस्ताने पहन होंगे यौन…

जुबिली न्यूज डेस्क

बॉम्बे उच्च न्यायालय की ओर से रेप केस को लेकर दिए स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट वाले फैसले को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा था कि पॉक्सो ऐक्ट के तहत यौन उत्पीडऩ का अपराध तभी माना जा सकता है, जब आरोपी और पीडि़ता के बीच स्किन कॉन्टेक्ट हुआ हो।

अदालत के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग और अटॉर्नी जनरल ने अपील दायर की थी। इस फैसले पर सुनवाई करते हुए ही जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने फैसले को खारिज कर दिया है।

जस्टिस बेला त्रिवेदी ने उच्च न्यायालय के फैसले को बेतुका बताते हुए कहा, ‘पॉक्सो ऐक्ट के तहत अपराध मानने के लिए फिजिकल या स्किन कॉन्टेक्ट की शर्त रखना हास्यास्पद है। इससे कानून का मकसद ही पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, जिसे बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है।’

अदालत ने कहा कि इस परिभाषा को माना गया तो फिर ग्लव्स पहनकर रेप करने वाले लोग अपराध से बच जाएंगे। यह बेहद अजीब स्थिति होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम ऐसे होने चाहिए कि वे कानून को मजबूत करें न कि उनके मकसद को ही खत्म कर दें।

मालूम हो उच्च न्यायालय ने कहा था कि नाबालिग के अंदरूनी अंग को बिना कपड़े हटाए छूना तब तक सेक्सुअल असॉल्ट नहीं है जब तक कि स्किन-से-स्किन का टच न हो।

यह भी पढ़ें : मलिक ने वानखेड़े के खिलाफ दिए एक और सबूत

यह भी पढ़ें : दिल्ली वालों को 21 नवंबर तक जहरीली हवा से नहीं मिलेगी कोई राहत

यह भी पढ़ें :  हिंदुत्व पर क्या बोले पाकिस्तान के विदेश मंत्री ?

इस फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने 27 जनवरी को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामला 14 दिसंबर 2016 का है, जब लड़की की मां ने पुलिस के सामने बयान दिया था कि आरोपी उनकी 12 साल की बेटी को कुछ खिलाने के बहाने ले गया और उसके साथ गलत हरकत की।

आरोपी ने लड़की के कपड़े खोलने की कोशिश की और उसके अंदरूनी अंग को कपड़े के ऊपर से दबाया।

यह भी पढ़ें : पिछले 20 सालों में पुलिस हिरासत में 1888 मौतें, पर दोषी सिर्फ 26 पुलिसवाले 

यह भी पढ़ें : दुनिया का सबसे अमीर देश कौन है ? 

यह भी पढ़ें :  अनिल कुंबले की जगह सौरव गांगुली बने ICC क्रिकेट समिति के अध्यक्ष 

निचली अदालत ने मामले में पोक्सो के तहत आरोपी को दोषी करार दिया और तीन साल कैद की सजा सुनाई। हालांकि, उच्च न्यायालय ने आदेश में बदलाव किया और मामले को पोक्सो के तहत सेक्सुअल असॉल्ट न मानकर आईपीसी की धारा-354 के तहत छेड़छाड़ माना था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि बिना कपड़े को हटाए ये मामला पोक्सो के तहत सेक्सुअल असॉल्ट का नहीं बनता।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com