- मुख्तार अंसारी केस में सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार की बड़ी जीत
- सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी की रिट याचिका खारिज की
- कोर्ट ने मुख्तार की मौत की जांच से जुड़ी एफआईआर व एसआईटी की मांग ठुकराई
- रिट खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह हस्तक्षेप योग्य मामला नहीं
- योगी सरकार की माफिया के खिलाफ पुख्ता पैरवी की फिर हुई जीत
- प्रदेश सरकार की सशक्त पैरवी से मुख्तार को आठ मामलों में हो चुकी है सजा
- मुख्तार अंसारी की 28 मार्च 2024 को बांदा जेल में इलाज के दौरान हुई थी मृत्यु
लखनऊ/दिल्ली। उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध के खिलाफ योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से मजबूती मिली है।
कुख्यात माफिया और विधायक रह चुके मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत की जांच के लिए एफआईआर दर्ज करने और एसआईटी गठित किए जाने की मांग को लेकर उनके बेटे उमर अंसारी द्वारा दाखिल की गई रिट याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने साफ किया कि यह सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का मामला नहीं है और इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया।
ये भी पढ़ें-राहुल का जाति जनगणना पर सरकार को समर्थन पर राखी ये बड़ी 4 मांगें
यह फैसला न केवल प्रदेश सरकार की सशक्त और तथ्यों पर आधारित पैरवी की जीत है, बल्कि संगठित अपराधियों के विरुद्ध उठाए गए कठोर कदमों की भी पुष्टि करता है। यह फैसला इस बात का संकेत है कि उत्तर प्रदेश अब अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं, बल्कि कानून का सख्त पालन कराने वाला राज्य बन चुका है।
अंसारी पर 65 से अधिक आपराधिक मुकदमे
मुख्तार अंसारी, जो कि गाजीपुर जनपद के कस्बा मोहम्मदाबाद का निवासी था, पर हत्या, अपहरण, वसूली, गैंगस्टर एक्ट, एनएसए समेत 65 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे।
वर्ष 1986 से अपराध जगत में सक्रिय मुख्तार ने साधु सिंह गैंग से मिलकर कई बड़े अपराध किए और राजनीति के माध्यम से भी अपनी आपराधिक गतिविधियों को संरक्षण देने की कोशिश की।
उसके खिलाफ रूगटा हत्याकांड, जेलर हत्या मामला और कृष्णानंद राय की हत्या जैसे कई सनसनीखेज मामले दर्ज हैं। मुख्तार अंसारी की 28 मार्च 2024 को बांदा जेल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी।
8 मामलों में हो चुकी थी सजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार की स्पष्ट नीति और अभियोजन विभाग की मजबूत पैरवी के चलते अंसारी को अब तक आठ मामलों में सजा दिलाई जा चुकी है। इसमें 5 वर्ष, 5 वर्ष 6 माह, 7 वर्ष, 3 में 10 वर्ष और 2 में आजीवन वर्ष समेत अर्थदंड की सजा दी गई है। उस पर दर्ज 65 अभियोग गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, दिल्ली, सोनभद्र, आगरा, लखनऊ, मऊ, आजमगढ़, पंजाब, बाराबंकी और बांदा में पंजीकृत हैं।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
