Sunday - 7 January 2024 - 6:01 AM

कबीर की धरा पर कांग्रेस की चाल से ऐसे बिगड़े समीकरण


मल्लिका दूबे

गोरखपुर। यूपी के संतकबीरनगर में अपने-अपने समीकरणों पर जीत का ख्वाब बुन रहे सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा के माथे पर कांग्रेस के हाथ ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं। अब तक गठबंधन और बीजेपी के बीच काफी हद तक सीधी मानी जा रही यहां की लड़ाई में कांग्रेस ने तीसरा कोण बना दिया है।

कांग्रेस की तरफ से संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र में पूर्व सांसद भालचंद यादव को प्रत्याशी बनाए जाने की जबरदस्त चर्चा है। यादव शनिवार को ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। उन्हें कांग्रेस का टिकट मिलने पर सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा दोनों के समीकरण बिगड़ सकते हैं। ऐसे में यहां की लड़ाई अब काफी दिलचस्प होने जा रही है।

जूताकांड के बाद खुद को मजबूत मान रहा गठबंधन

संतकबीरनगर में सांसद शरद त्रिपाठी द्वारा मार्च माह के पहले सप्ताह में अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल पर जूता बरसाने के बाद से यहां सपा-बसपा गठबंधन खुद को मजबूत मानने लगा है। चुनावी लड़ाई के लिए बसपा के खाते में आयी इस सीट पर पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी प्रत्याशी हैं।

जूताकांड के चलते बीजेपी ने यहां के सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट दिया है। बीजेपी ने यहां से गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद को टिकट दिया है। ऐसे में कुशल तिवारी का खेमा यह मानकर चल रहा है कि ब्राह्मण मतों का एकमात्र दावेदार उनका ही प्रत्याशी है। सपा-बसपा के वोट बैंक को लेकर निश्चिंतता पहले से है।

नए समीकरण से आशान्वित है बीजेपी

सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटने के बाद ब्राह्मणों के बीच डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी ने उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया का टिकट दे दिया है। पार्टी यह भी मान रही है कि शरद त्रिपाठी का टिकट काट देने से ठाकुर बिरादरी के मतदाताओं की नाराजगी को भी काफी हद तक दूर कर लिया गया है।

इस बीच संतकबीरनगर में निषाद प्रत्याशी देकर बीजेपी ने यहां के निषाद वोटों के दम पर सफलता का सपना देखा है। पार्टी की यह रणनीति है कि बीजेपी के परंपरागत वोटरों के साथ निषाद वोटों की जुटान हुई तो पौ बारह वाली स्थिति हो सकती है।

भालचंद की इंट्री से गठबंधन-बीजेपी की चुनौती बढ़ी

संतकबीरनगर में दो बार सांसद रह चुके सपा के स्थानीय कद्दावर छवि के नेता रहे भालचंद यादव शनिवार को कांग्रेस में शामिल हो गये। ऐसी प्रबल संभावना है कि कांग्रेस उन्हें यहां पूर्व घोषित प्रत्याशी परवेज खां को बदलकर प्रत्याशी बनाएगी। भालचंद की अपनी बिरादरी में अच्छी पैठ मानी जाती है।

इसके अलावा अल्पसंख्यक बिरादरी के मतों पर भी कुछ हद तक उनका प्रभाव माना जाता है। भालचंद के कांग्रेस प्रत्याशी होने पर गठबंधन का वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। भालचंद के चुनाव लड़ने की दशा में बीजेपी से अभी भी नाराज ऐसा वोट बैंक जो ब्राह्मण को वोट नहीं करता है, विकल्प के रूप में भालचंद के साथ जा सकता है।

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