Saturday - 6 January 2024 - 5:53 AM

कोरोना वैक्सीन : COVID-19 युद्ध में बड़ी है भारत की भूमिका

प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार

Novel कोरोनावायरस के कारण COVID -19 दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है, जिससे लाखों लोगों की जान चली गई है। फिर भी, कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा या टीका वर्तमान में वायरस SARS-CoV-2 की नवीनता के कारण उपलब्ध नहीं है ।

खूंखार सांस की बीमारी के इलाज के लिए आशाओं को बढ़ाते हुए, इतालवी वैज्ञानिकों की एक टीम ने बुधवार को दावा किया कि उसने दुनिया के पहले COVID-19 वैक्सीन को सफलतापूर्वक विकसित किया है जो कोरोना वायरस को बेअसर कर सकता है।

न केवल इटली, बल्कि अन्य देशों जैसे कि इज़राइल, अमेरिका और यूके ने वैक्सीन और महत्वपूर्ण दवाओं की खोज करने का दावा किया है जो COVID -19 के इलाज में मदद कर सकते हैं।

वर्तमान में दुनिया भर में 100 से अधिक टीकों का परीक्षण किया जा रहा है क्योंकि वैज्ञानिकों ने कोरोनोवायरस बीमारी के इलाज की दौड़ तेज कर दी है।

भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं और टीकों का सबसे बड़ा निर्माता है। भारत में आधा दर्जन प्रमुख वैक्सीन निर्माताओं का एक समूह है, जो पोलियो, मेनिन्जाइटिस, निमोनिया, रोटावायरस, बीसीजी, खसरा, कण्ठमाला और रूबेला के खिलाफ खुराक बनाते हैं।

अब आधा दर्जन भारतीय फर्म कोविड -19 का कारण बनने वाले वायरस के खिलाफ टीके विकसित कर रहे हैं।

उनमें से एक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया है, जो दुनिया भर में उत्पादित और बेची जाने वाली खुराक की संख्या से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है। 53 साल पुरानी ये कंपनी मुख्य रूप से पश्चिमी शहर पुणे में इसकी दो सुविधाओं सेहर साल 1.5बिलियन खुराक बनाती है,। नीदरलैंड और चेक गणराज्य में इसके दो अन्य छोटे संयंत्र हैं। फर्म के लिए लगभग 7,000 लोग काम करते हैं।

कंपनी 165 देशों में कुछ 20 टीकों की आपूर्ति करती है। इसके 80% टीके निर्यात किए जाते हैं और औसतन 50 सेंट की खुराक पर वे दुनिया में सबसे सस्ते होते हैं।

पुणे स्थित कंपनीसीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन बनाने वाले सात वैश्विक संस्थानों में से एक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ भागीदारी की है।

हम उम्मीद कर सकते हैं कि यदि परीक्षण अपेक्षित सुरक्षा और सुनिश्चित प्रभावकारिता के साथ सफल हो गया तो COVID-19 वैक्सीन, जिसे “ChAdOx1 nCoV-19” कहा जाता है, सितंबर – अक्टूबर तक बाजार में आ जाएगी ।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन का भारत में परीक्षण शुरू करेगा और सितंबर-अक्टूबर तक क्लिनिकल परीक्षण की प्रत्याशा में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस वैक्सीन का निर्माण करेगा।

उम्मीद है कि मानव पर क्लिनिकल परीक्षण सफल होने पर अक्टूबर तक इसे बाजार में लाया जाएगा।

कंपनी की योजना है कि भारत में वैक्सीन के लिए आवश्यक नियामक अनुमोदन के साथ परीक्षण शुरू किया जाए । टीम पहले 6 महीनों के लिए प्रति माह 5 मिलियन खुराक का उत्पादन करने की उम्मीद कर रही हैं, जिसके बाद, सीरम इंस्टीट्यूट इंडिया हर महीने 10 मिलियन तक का उत्पादन करेगा ।

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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख पूनावाला ने कहा, “हम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और आईसीएमआर के संपर्क में हैं। हम COVID-19 के लिए सीरम के वैक्सीन का पेटेंट नहीं कराएंगे और इसे केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में उत्पादन और बिक्री के लिए उपलब्ध कराएंगे।”

वर्तमान मे जो भी कंपनी वैक्सीन विकसित करती है, वह इसे पेटेंट नहीं करवाती है और इसे दुनिया भर के कई निर्माताओं को रॉयल्टी या वाणिज्यिक समझ के आधार पर उपलब्ध कराती है, ताकि तीव्र गति से अरबों डोज मिल सकें।

उन्होंने कहा, “कम से कम शुरुआत में, इसे विदेश जाने से पहले हमारे देशवासियों को उपलब्ध कराना होगा,” उन्होंने कहा कि कंपनी इस बात का फैसला भारत सरकार पर छोड़ देगी कि किस देश को कितना टीका मिलेगा और कब ।

उन्होंने कहा कि सीरम 1,000 रुपये प्रति टीका की कीमत की अंदाजा लगा रही है लेकिन सरकारें इसे बिना किसी शुल्क के लोगों को देगी।

हाल ही भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भारत बायोटेक इंटरनैशनल से हाथ मिलाया है। दोनों संस्थाएं मिलकर Covid-19 की स्वदेशी दवा या वैक्सीन तैयार करने का काम करेंगी। इस समझौते के बाद भारत ने वैक्सीन खोजने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाया है।

सबकुछ सही रहा तो भारत खुद वैक्सीन विकसित कर लेगा और उसे दूसरे देशों की मदद नहीं लेनी पड़ेगी।

(लेखक श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय, निम्बाहेड़ा (राजस्थान) के कुलपति है तथा कानपुर विश्वविद्यालय व गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रह चुके हैं)

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