Wednesday - 10 January 2024 - 12:06 PM

हम ऐसे युग में रह रहे हैं जहां लोग 10 लाइन लिखते हैं और चले जाते हैं

अविनाश भदौरिया

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद शायद वही हो रहा है जिस वजह से उसे सुसाइड करना पड़ा। उसकी मौत का असल कारण तो किसी को नहीं मालूम लेकिन जिस तरह की बातें हो रही हैं एक संवेदनशील, इमानदार और सच्चे इन्सान को अखर जरुर रही होंगी।

सुशांत खुद भी बड़े संवेदनशील थे, लिखने-पढने वाले थे। छोटे शहर और सामान्य परिवार से थे तो जाहिर है भावुक भी रहे होंगे लेकिन इस तरह के इंसानों को यह बनावटी दुनियां कहीं न कहीं कचौटती रहती है। शायद यही वजह है कि एक प्यारा इन्सान खुद को ख़त्म करने को मजबूर हो जाता है। लेकिन ये निर्दयी संसार और निष्ठुर मानव कोई सीख लेकर खुद को बदलने की बजाय निरंतर जाहिलियत जारी रखता है। खैर किया भी क्या जा सकता है। आखिर ये सब इतना जटिल है कि इसे सुलझाया ही नहीं जा सकता। अंततः परिणाम यही निकलता है कि हवा के रुख के साथ चलते रहा जाये और अपने स्तर पर जितना संभव हो सके अच्छा किया जाए। अब वापस आते हैं सुशांत सिंह की कहानी पर।

इस सुसाइड के बाद बॉलीवुड में गुटबाजी का खेल खुलकर सामने आया है। एक गुट है जिस पर सुशांत को सुसाइड किए जाने के लिए उकसाने का आरोप है ओ दूसरा गुट है जो उसे इंसाफ दिलाने की बात कर रहा है। लेकिन सच ये है कि सुशांत के साथ जो हुआ उसके लिए सभी दोषी हैं।

मैं यह नहीं कहता कि सुशांत सिंह के पक्ष में खड़े सभी लोग गलत हैं, इनमें से कुछ लोग हो सकता है वाकई में उन्हें इंसाफ दिलाने के की कोशिश कर रहे होंगे लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिन्हें न तो सुशांत की मौत का अफ़सोस है और न ही वो कोई समाज को बदलना चाहते हैं बल्कि सच्चाई तो ये है कि ये लोग सिर्फ अपना उल्लू सिद्ध करने में जुटे हैं।

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ऐसा मैं इसलिए लिख रहा हूँ कि, सुशांत राजपूत को लेकर जितना हल्ला सोशल मीडिया पर हो रहा है क्या उसका आधे से भी आधा समर्थन उनकी फैमिली को मिला ? क्या जब सुशांत परेशान थे तो ये हमदर्द उनके साथ थे ? क्या वास्तव में कोई ऐसा प्रयास करता नजर आ रहा है जिससे आगे इस तरह की कोई अनहोनी न हो ? जवाब है नहीं।

एक इंटरव्यू में सैफ अली खान ने जो कहा उस पर हम सबको सोचना चाहिए। हो सकता है सैफ भी किसी गुट के आदमी हों लेकिन उनकी कही बात सौ टका सत्य है। सैफ ने एक इंटरव्यू में कहा कि, हम ऐसे युग में रह रहे हैं जहां लोग 10 लाइन लिखते हैं और चले जाते हैं। उनकी इस बात पर गौर किया जाना बहुत जरुरी है।

तमाम मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि, सुशांत के करीबी दोस्तों ने भी उनसे महीनों से बात नहीं की थी बाकि का तो छोड़ ही दीजिए। यहां तक की उनके मौत पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले सुशांत के अंतिम संस्कार में भी नहीं पहुंचे। हालांकि इसके लिए कोरोना का बढ़िया बहाना है। लेकिन क्या ऋषि कपूर के अंतिम संस्कार में उनके चाहने वाले नहीं पहुंचे थे।

कुल मिलाकर सच्चाई ये है कि सोशल मीडिया के इस दौर में लोग बिलकुल भी सोशल नहीं रह गए हैं। लोग आभासी दुनिया में इतने व्यस्त हैं कि वास्तविक दुनिया से उनका नाता ही टूटता जा रहा है।

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