न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए 21 देश में 21 दिनों का लॉक डाउन लागू है। हालांकि जिस तरह से पिछले चार-पांच दिनों में संक्रमितों मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है उसके बाद ये चर्चाएं तेज हो गई हैं कि लॉक डाउन की अवधि को और आगे बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि https://www.covid19india.org/ के ताजा आंकडों की माने तो देश में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या 6217 तक पहुंच गई है। इस लिए ओडिसा राज्य सरकार ने लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया है। वहीं यूपी, दिल्ली और मध्य प्रदेश में तो जिन जगहों पर संक्रमित मरीज मिलें हैं वहा को सील कर दिया गया है।
लॉकडाउन का असर आम जनजीवन पर तो पड ही रहा है। साथ ही देश की राजनीति में भी इसका गहरा असर पड़ रहा है। एक तरह जहां महाराष्ट्र के सीएम जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। और अब लॉकडाउन होने के कारण उनकी कुर्सी खतरे में पड़ गई है। वहीं दूसरी ओर देश के 6 राज्यों की रिक्त हो रही 17 राज्यसभा सीटें पर खाली ही रहेंगी।
बता दें कि गुजरात और आंध्र प्रदेश में चार-चार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में तीन-तीन, झारखंड में दो और मणिपुर की एक सीट आज रिक्त हो रही हैं। इसके अलावा मेघालय की एक सीट 12 अप्रैल को रिक्त हो रही है। इन सीटें के जरिए उच्च सदन पहुंचने की उम्मीद लगाए बैठे नेताओं को अभी और इंतजार करना होगा।
राज्यसभा सीट रिक्त होने के बाद भी यहां फिलहाल चुनाव के आसार नहीं बन पा रहे हैं। हालांकि, इन राज्यों के राजनीतिक इतिहास में राज्यसभा की सीटें रिक्त होने के बाद कभी खाली नहीं रही हैं। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन सीटों पर 26 मार्च को चुनाव कराने का ऐलान कर दिया था और उम्मीदवारों ने अपने-अपने नामांकन भी कर दिए थे।
दरअसल देश के 7 राज्यों की 18 राज्यसभा सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होने वाले थे, जो लॉकडाउन के कारण स्थगित हो गए हैं। फिलहाल इनके लिए चुनाव कार्यक्रम भी घोषित नहीं हुआ है। कोरोना संक्रमण के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के संकेत मिल रहे हैं. इससे साफ जाहिर है कि गुरुवार को रिक्त हो रही यह सीटें किसी भी हालत में इस महीने तक नहीं भरी जा सकेंगी।
जानकारों का कहना है कि यह पहला मौका है जब राज्यसभा की कोई भी सीट रिक्त होने के बाद समय पर नहीं भरी जा सकेगी। यह स्थिति अकेले किसी एक राज्य में नहीं बल्कि सात राज्यों में एकसाथ बन रही है। हालांकि इससे पहले असम और जम्मू-कश्मीर में ऐसी स्थिति रही थी, जब वहां रिक्त हुई सीटें किसी कारणवश खाली रह गई थीं।
संविधान विशेषज्ञों की माने तो असम में एक बार राज्यसभा सीटों पर सांसद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनाव नहीं हो सके थे, वहां तब विधानसभा अस्तित्व में नहीं थी तो चुनाव नहीं कराए जा सके थे। इसी अलावा एक बार जम्मू कश्मीर में अशांति का माहौल था, जिसके चलते वहां की राज्यसभा की सीटें रिक्त रही थी।
हालांकि, चुनाव आयोग राज्यसभा की सीटें रिक्त होने से पहले चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर देता है ताकि राज्यसभा की सीटें किसी भी हालत में रिक्त न रहें। इस के तहत 25 फरवरी को ही चुनाव आयोग ने अप्रैल में रिक्त होने वाली 55 राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव कराने की अधिसूचना जारी कर दी थी, पर कोरोना के संकट और लॉकडाउन के चलते इसे अनिश्चितकालीन के लिए टाल दिया गया है। 37 राज्यसभा सीटों पर निर्विरोध सदस्य चुने जा चुके हैं। उन्हें सर्टिफिकेट भी मिल गया, लेकिन वे अभी शपथ नहीं ले सके हैं।