जुबिली स्पेशल डेस्क
केंद्र सरकार ने देश में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है। यह जनगणना आगामी जनगणना के साथ ही कराई जाएगी।
सरकार के इस अहम निर्णय के बाद विपक्ष की ओर से भी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। सरकार ने इसे आगामी राष्ट्रीय जनगणना के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है। इस अहम फैसले के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस वार्ता में सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने इसे “देश के लिए आवश्यक और सकारात्मक पहल” बताया, लेकिन साथ ही कुछ अहम सवाल भी उठाए।
राहुल गांधी ने कहा, “हम जातिगत जनगणना का समर्थन करते हैं। यह जानना जरूरी है कि समाज के भीतर कौन कहां खड़ा है। यह आंकड़े नीति निर्धारण के लिए बेहद जरूरी हैं।”
उन्होंने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि यह जनगणना कब कराई जाएगी। साथ ही राहुल ने 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को समाप्त करने की भी वकालत की।
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राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में केवल चार जातियां हैं—गरीब, मध्यम वर्ग, अमीर और बहुत अमीर। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल बोले, “अगर ऐसा है तो इन वर्गों के भीतर भी कौन कितना वंचित है, यह जानने के लिए जातिगत आंकड़े जरूरी हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि जातिगत जनगणना पहला कदम है, लेकिन सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में आगे की राह इससे भी लंबी है।
राहुल गांधी की चार प्रमुख मांगें
1. केंद्र सरकार जल्द से जल्द टाइमलाइन घोषित करे
राहुल गांधी ने केंद्र से आग्रह किया कि वह स्पष्ट करे कि जातिगत जनगणना कब और कैसे कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार को जनता को यह बताना चाहिए कि इस प्रक्रिया की रूपरेखा क्या होगी।
2. तेलंगाना मॉडल को अपनाने की सलाह
उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को तेलंगाना सरकार के जाति सर्वेक्षण मॉडल को अपनाना चाहिए, जिसे तेज़, पारदर्शी और समावेशी माना जा रहा है।
3. 50% आरक्षण सीमा हटाने की वकालत
राहुल गांधी ने दोहराया कि जब तक जातिगत आंकड़े सामने नहीं आते और उसके आधार पर 50 फीसदी आरक्षण की सीमा समाप्त नहीं की जाती, तब तक समान भागीदारी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक संशोधन के ज़रिए आरक्षण की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।
4. निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू हो
उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक न्याय सिर्फ सरकारी नौकरियों और संस्थानों तक सीमित नहीं होना चाहिए। निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिल सकें।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में चार जातियां हैंगरीब, मध्यम वर्ग, अमीर और बहुत अमीर। इस पर राहुल ने कहा, “अगर यह सच है, तो इन वर्गों के भीतर की वास्तविक स्थिति जानने के लिए जातिगत आंकड़े ज़रूरी हैं।”
उन्होंने अंत में यह भी जोड़ा कि जाति जनगणना केवल एक शुरुआत है। यदि सरकार वाकई समानता और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्ध है, तो उसे इसके आगे भी ठोस कदम उठाने होंगे।