जुबिली न्यूज डेस्क
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री स्कीम पर सवाल उठाया है. उन्होंने इसे बहुजन समाज के आरक्षण को छीनने वाली प्रक्रिया करार दिया है. साथ ही कहा है कि बीजेपी इसके जरिए संविधान को नष्ट करना चाहती है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी ने सोमवार (19 अगस्त) को एक पोस्ट में कहा, “लेटरल एंट्री दलित, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है. बीजेपी का तोड़-मरोड़कर पेश किया गया वर्जन संविधान को नष्ट करना और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है.” केंद्र सरकार ने जब से लेटरल एंट्री के जरिए सिविल सर्वेंट की भर्ती करने की योजना को सामने रखा है, तब से ही कांग्रेस पूरी तरह से इसे संविधान विरोधी बता रही है. राहुल सरकार की इस पहल को राष्ट्र विरोधी कदम भी करार दे चुके हैं.
लेटरल एंट्री पर क्यों हो रहा है विवाद?
दरअसल, यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) ने शनिवार (17 अगस्त) को विभिन्न मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर/डिप्टी-सेक्रेटरी के 45 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला. इसमें से 10 पद ज्वाइंट सेक्रेटरी और 25 डायरेक्टर/डिप्टी-सेक्रेटरी पद थे. इन पदों पर नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर होनी है और उम्मीदवारों का सेलेक्शन लेटरल एंट्री के जरिए किया जाएगा.
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आमतौर पर इस तरह के पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है. हालांकि, लेटरल एंट्री होने की वजह से इन पदों पर अप्लाई करने के लिए यूपीएससी एग्जाम देने की जरूरत नहीं होगी, यानी कि अब सिर्फ अन्य लोग भी इन पदों पर नियुक्त हो पाएंगे.