Sunday - 7 January 2024 - 9:02 AM

तो बैंकों की खस्ता हालत के लिए रघुराम राजन और मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं


जुबिली न्यूज़ डेस्क

आर्थिक मंदी और ध्वस्त होती बैंकिंग को लेकर केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। लेकिन केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इन हालातों के लिए ठीकरा उन आलोचकों के सिर पर ही फोड़ दिया है, जो अर्थव्यवस्था को लेकर उनकी आलोचना करते रहे हैं। निर्मला सीतारमण ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की ‘जोड़ी’ को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ‘सबसे बुरे दौर’ के लिए ज़िम्मेदार बताया है।

न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान देते हुए वित्त मंत्री ने का कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के वक्त सरकारी बैंकों का सबसे खराब दौर चला था।

वित्त मंत्री ने कहा कि मैं रघुराम राजन की एक महान शिक्षक के तौर पर और पूर्व प्रधानमंत्री की बड़ी इज्जत करती हूं। उन्होंने ऐसे वक्त में आरबीआई की जिम्मेदारी संभाली थी, जब भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सबसे खुशहाल दौर में थी। लेकिन राजन और मनमोहन सिंह के वक्त ही बैंक केवल नेताओं का एक फोन आने के बाद लोन दे देते थे। उस लोन की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है, जिसके कारण सरकार को बैंकों में पैसा देना पड़ रहा है, ताकि वो सही ढंग से चल सके। उस वक्त जो हो रहा था, उसकी जानकारी सिवाय उनके किसी को भी नहीं थी।

वित्त मंत्री ने कहा कि राजन अब बैंकों की संपत्ति का मूल्यांकन कर रहे हैं, लेकिन हमें इस बात को भी समझना चाहिए, इन घोटालों के बारे में अब क्यों पता चल रहा है। यह कैसे शुरू हुआ इसके बारे में भी बोलना चाहिए।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि, “वैसे तो अर्थशास्त्री केवल आज के समय की, या फिर पहले से जो चला आ रहा था उसके बारे में बात करते हैं। लेकिन मैं राजन से इसका उत्तर जानना चाहूंगी जब वो आरबीआई के गवर्नर थे, तब उन्होंने भारतीय बैंकों के लिए क्या किया। आज के समय में बैंकों की खराब वित्तीय हालत को सुधारने और उसे जीवन रेखा देने के लिए वित्त मंत्री के तौर पर यह मेरी नैतिक जिम्मेदारी है। बैंकों को जो इमरजेंसी जैसी हालत हुई है वो एक पखवाड़े में नहीं आती है।”


वित्त मंत्री ने राजन के एक व्यक्ति के फैसले लेने से अर्थव्यवस्था के खराब हालत को जिम्मेदार बताने वाले बयान पर कहा कि, ” कुछ लोगों को एक व्यक्ति के सभी फैसले लेने से दिक्कत हो रही है। डेमोक्रेटिक नेतृत्व में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुए थे। प्रधानमंत्री आज भी कैबिनेट में सभी के साथ बराबरी में पहली पंक्ति में आते हैं।

भारत जैसे देश के लिए एक व्यक्ति की सत्ता होनी जरूरी है, क्योंकि इससे कम से कम भ्रष्टाचार तो नहीं होता है, क्योंकि राजतंत्र में सब लोगों की बातें सुनने का हाल हम अब भी देख रहे हैं।

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था को एक आदमी अपनी मर्जी से नहीं चला सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था काफी बड़ी हो गई है। एक व्यक्ति के द्वारा इसको चलाया नहीं जा सकता है और इसका उदाहरण हम सब देख चुके हैं।

उन्होंने कहा था कि राजकोषीय घाटा बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जिससे निकलने में काफी वक्त लग सकता है। ब्राउन विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान देते हुए राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में सरकार द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाने से अभी सुस्ती का माहौल है।

निर्मला सीतारमण के पति ने भी अर्थव्यवस्था की हालत को खराब माना है

पूर्व रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री निर्मला सीतारमण के पति ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लिए मोदी सरकार को जिम्मदार ठहराया है। सीतारमण के पति व जाने माने अर्थशास्त्री पराकला प्रभाकर ने मोदी सरकार को आर्थिक सुस्ती को छुपाने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने सलाह देते हुए कहा, मोदी सरकार नेहरु के आलोचना की जगह नरसिम्हा राव के आर्थिक मॉडल पर काम करें।

प्रभाकर ने एक प्रतिष्ठित अखबार में लेख लिखते हुए कहा कि मोदी सरकार और बीजेपी को देश की आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के आलोचना की जगह नरसिम्हा राव के आर्थिक मॉडल पर काम करना चाहिए। जाने माने अर्थशास्त्री प्रभाकर तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार में संचार मामलों के सलाहकार रह चुके हैं।

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