Wednesday - 30 October 2024 - 7:42 PM

शख्सियत: केसी पांडेय: खनिज संपादाओं के जौहरी

यशोदा श्रीवास्तव

यकीन नहीं होता कि पूर्वी यूपी के एक गांव सोहसा में पैदा हुआ,पला बढ़ा कोई शख्स मुंबई में जाकर न केवल धरती और पहाड़ों से निकले वेशकीमती पत्थरों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपना झंडा गाड़ने में कामयाब होगा, मुंबई में यूपी वासियों के “भइया”की शिनाख्त को खत्म कर यूपी की अलग पहचान की नई इबारत लिखेगा।

कभी पूर्वी यूपी के बस्ती जिले का हिस्सा रहे सोहसा गांव में पैदा हुए,प्ले,बढ़े केसी पांडेय आज शोहरत और नाम के मोहताज नहीं हैं। वेशकीमती पत्थरों के विशालतम साम्राज्य के मालिक केसी पांडेय के कायल देश और दुनिया के एक से एक अजीम हस्ती हैं।

पिता पुलिस अफसर थे सो इनकी शिक्षा गोरखपुर में हुई। 1978 में इंटर की पढ़ाई के बाद वे मुंबई आकर भारतीय नौसेना का हिस्सा बन गए। उन्होंने अभियांत्रिकी का प्रशिक्षण लिया। आगे चलकर एविएशन शाखा में वायु तकनीकी का विशेष प्रशिक्षण लेकर “विराट और विक्रांत” के लिए एयर इंजिनियर के रूप में कार्य किया।

केसी पांडेय की खास बात यह है कि उन्होंने जीवन में किसी भी कार्य को आरंभ और अंत में परिभाषित नहीं किया। यही वजह है कि जो शख्स एयर इंजिनियर रहा वह अचानक जीवोलाइट्स के क्षेत्र में उतर पड़ा हो और धरती की गहराइयों से लेकर पहाड़ की ऊंचाइयों तक प्राकृतिक संपदा का जौहरी बन गया। नौसेना में रहते हुए ही उन्हें कहीं से लगा कि देश की खनिज संपदा उपेक्षित है। इसकी पहचान के लिए देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ किया जाना चाहिए।

इसी दौरान उन्हें एक राहगीर के हाथ में सुंदर और चमकीला पत्थर का छोटा टुकड़ा दिखाई दिया। पत्थर का यह टुकड़ा उस शख्स के लिए निष्प्रयोज्य ही रहा होगा और केसी पांडेय भी शायद उसकी अहमियत से अनभिज्ञ ही थे फिर भी उन्होंने पत्थर के उस सुनहले टुकड़े को मात्र 25 पैसे में खरीद लिया।

वे बताते हैं कि एक दिन रेस्टोरेंट में टेबल पर वे उस पत्थर से खेल रहे थे। तभी सामने बैठे एक अंग्रेज की नजर पत्थर पर पड़ी तो उसने डेढ़ सौ रुपए में उसे खरीदने का आफर दिया। उन्होंने सहर्ष उसे अंग्रेज के हाथ डेढ़ सौ में बेंच दिया। वे बताते हैं कि इसी के बाद से उनके मन में आया कि एविएशन सेक्टर के आगे भी कोई दुनिया है।

उनमें नौकरी के बाद खनिज की दुनिया में कदम बढ़ाने की उत्सुकता बढ़ती गई। भारतीय नौसेना में रहते हुए वे धरती से लेकर पहाड़ तक खनिज संपदाओं की खोज कर कर के वेशकीमती पत्थरों का खजाना जुटाते रहे।

नौकरी से मुक्ति के बाद इस क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का संकल्प था ही। 1993 में जब वे रिटायर हुए तो उनके पास कुल जमा पूंजी दो लाख पचहत्तर हजार ही थे जो उनके सपने को साकार रूप देने के लिए बहुत कम थे। इस क्षेत्र के विकास के लिए बैंक भी किसी आर्थिक मदद को तैयार नहीं थे। तब उन्होंने एकत्रित किए गए पत्थरों पर दांव लगाने की सोची। पत्थरों के मार्केट में घूमते टहलते अंततः उसे दस लाख में बेंचने में कामयाबी मिल गई।

इस रूपए से उन्होंने सिन्नर नासिक में गारगोटी म्यूजियम की स्थापना के प्रयास शुरू कर दिए और सुपर्ब मिनरल्स इंडिया प्रालि.नामक कंपनी गठित की। यह प्रायवेट सेक्टर की भारत में जिवोलाइट खनन और निर्यात करने वाली पहली कंपनी है। इसी वर्ष उन्होंने पहली बार टू साम जेम एंड मिनरल्स शो में हिस्सा लिया। यह उनके लक्ष्य का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

इसका प्रतिफल यह रहा कि 25 अप्रैल 2001 को विश्व स्तरीय गारगोटी म्यूजियम का उनका सपना साकार हुआ। सिन्नर (नासिक) में विश्व स्तरीय इस म्यूजियम का उद्घाटन बाला साहेब ठाकरे ने किया था।

इस म्यूजियम में 650 लाख वर्ष पुराने वेशकीमती पत्थरों और रत्नों का संग्रह है। गारगोटी म्यूजियम निजी स्वामित्व का पूरे विश्व में पहला जिवोलाइट म्यूजियम है जहां प्रतिदिन भारी संख्या में देश विदेश के टूरिस्ट और रत्नों के पारखी आते हैं। म्यूजियम के बगल में ही बड़ा सा गोदाम है जहां पत्थरों को तराशने के काम में हजारों लोग लगे रहते हैं।

केसी पांडेय कहते हैं कि उनके इस परियोजना में असंगठित क्षेत्र के करीब दस हजार लोग जुड़े हैं जो देश भर में कहीं भी किसी भी रूप में हो रही खुदाई में प्राप्त वेशकीमती पत्थरों की शिनाख्त कर उसे गारगोटी म्यूजियम तक पहुंचाते हैं, बदले में उन्हें उचित पारिश्रमिक मुहैया कराया जाता है। फिलहाल अभी इस म्यूजियम में सौ करोड़ तक के खनिज संपादाओं के विभिन्न आकार का संग्रह है जिसमें 15 करोड़ का स्फटिक का शिवलिंग खास है।

गारगोटी म्यूजियम में बाबा रामदेव जैसी शख्सियतें पधार चुके हैं। वे कहते हैं कि सरकार की ओर से यदि ताजमहल, अजंता, एलोरा, एलीफेंटा और गारगोटी जैसे पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण संग्रहालयों को बढ़ावा मिले तो उनका कारोबार एक हजार करोड़ तक पहुंच सकता है।

गारगोटी म्यूजियम की स्थापना के बाद केसी पांडेय शिरडी में करीब आठ एकड़ के क्षेत्र में 150 करोड़ की लागत में नया गारगोटी मिनरल एंंड एसिल म्यूजियम की स्थापना कर रहे हैं जहां भारतीय संस्कृति के साथ साइंस की अद्भुत छटा होगी।केसी पांडेय 2004 से 2012 तक साईं टर्स्ट का मैनेजिंग ट्रस्टी भी थे। इस दौरान उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से लेकर देश विदेश के तमाम अजीम हस्तियों का सानिध्य हासिल हुआ।

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