Thursday - 11 January 2024 - 3:23 AM

पुलिस ने पकड़ा ‘खानदानी चोर’

नई दिल्ली

हम सभी ने चोरों के बारे में सुना है। हम प्रतिदिन अखबारों में चोरों के बारे खबरें पढ़ते हैं। चोरों के बारे में कहा जाता है कि कोई मजबूरी में चोरी करता है तो कोई गलत संगत में। फिलहाल हम आपको खानदानी चोर के बारे में बताने जा रहे हैं।

दिल्ली के बाड़ा हिंदूराव पुलिस स्टाफ ने एक ऐसे चोर को पकड़ा है, जिसका न सिर्फ खानदान बल्कि लगभग पूरा गांव चोरी की वारदातों में शामिल है। आरोपी ने बचपन से अपने परिजनों को देखकर ही चोरी करना सीखा है।

पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने यही दावा किया। दिल्ली पुलिस ने जब गांव की लोकल पुलिस ने भी इसकी पुष्टिï की। लोकल पुलिस भी उस गांव के चोरों से खुद के ‘परेशान’ होने की पुष्टि की है।

हालांकि डीसीपी नॉर्थ मोनिका भारद्वाज ने कहा कि हम अभी आरोपी के दावों को वेरिफाई कर रहे हैं।

पुलिस के अनुसार आरोपी के खिलाफ दिल्ली में सिर्फ 3 मामले लिंक हुए हैं, लेकिन जिस तरह से वह अपने साथियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम देता था, उसने पुलिस के होश उड़ा दिए हैं।

आरोपी चिंटू बिहार का रहने वाला है। उस पर आरोप है कि वह गिरोह के साथ मिलकर बाइक की डिग्गियों से सामान चुरा लेता था। चिंटू इंडस्ट्रियल इलाकों में जाकर रेकी करता था और फिर लोहे के एक उपकरण से डिग्गी का लॉक खोल लेता था।

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चिंटू ने यह भी दावा किया कि वह चलती बाइक से भी डिग्गी खोलकर सामान निकाल लेता था। एसएचओ संजय कुमार की देखरेख में एसआई पुष्पेंद्र, एएसआई प्रवीण, हेड कॉन्स्टेबल नवीन, कॉन्स्टेबल करम सिंह की टीम ने ऐसी वारदात की सूचना के बाद आरोपी की तलाश की। पुलिस के हाथ एक सीसीटीवी फुटेज लगी और मुखबिरों ने आरोपी को गिरफ्तार करवा दिया।

चिंटू के पास से पुलिस को एक वोटर आईडी कार्ड मिला। पुलिस ने उसका नाम-पता पूछा तो उसने अपना नाम और पिता का नाम तो वोटर आईडी वाला ही बताया, लेकिन पता बताने में झिझक गया। जब पता नहीं बता पाया तो पुलिस का शक यकीन में बदल गया।

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पुलिस के अनुसार, उसका गांव हाइवे से सटा हुआ है। चिंटू के अनुसार उसके गांव के बहुत से लोग चोरी-चकारी में लगे रहते हैं। उसका बचपन ऐसे काम देखकर बीता तो उसे भी यह धंधा मिल गया। वह फर्जी वोटर आईडी बनवाकर दिल्ली के होटल में कमरा लेता था। इसके बाद बाइक खरीदता था। आरोपी का कहना है कि चोरी करने पर पुलिस को उस बाइक की तलाश रहती है, जबकि फर्जी आईडी पर सेकंड हैंड बाइक खरीदने से पुलिस का खतरा कम हो जाता है।

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