Sunday - 7 January 2024 - 8:45 AM

सवालों में है पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर

न्यूज डेस्क

पिछले दो दिन से पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ जम्मू-कश्मीर पर चर्चा हो रही है। देशवासियों में उत्साह है लेकिन राजनीतिक दलों में उफान है। वह नाराज है कि सरकार ने किसी से कोई राय-मश्वरा नहीं किया। फिलहाल इस सबके बीच एक सवाल और उठ रहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का क्या होगा।

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला केंद्र सरकार ने किया है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दोनों को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी लेकिन वो केंद्र शासित प्रदेश होगा।

केंद्र के इस फैसले के बाद से राजनीतिक दल खूब सवाल उठा रहे हैं। सबसे पहला और कठिन सवाल है कि अब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का क्या होगा? सोमवार को यही सवाल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पूछा था।

अखिलेश ने कहा था-जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा तो खत्म कर दिया अब सरकार बताए कि पीओके पर उसका क्या स्टैंड है?  वहीं राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वो सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हैं। अब सरकार का अगला एजेंडा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस हासिल करना होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रंप को मध्यस्थता करने के बजाए पाकिस्तान को ये कहना चाहिए कि उसने धोखे से कश्मीर के जिस हिस्से को हड़प रखा है, वो भारत को वापस करे।

क्या असर पड़ेगा पीओके पर?

पाक के कब्जे वाले कश्मीर को हासिल करने का एजेंडा तो ठीक है, लेकिन सवाल उठता है कि अनुच्छेद 370 के खत्म हो जाने से पीओके पर क्या असर पड़ेगा? इसके अलावा एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का एक मतलब क्या ये निकाला जाए कि भारत ने पीओके पर अपना दावा छोड़ दिया है?

हालांकि मंगलवार को लेाकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी हमारा हिस्सा है और वो भारत का आंतरिक भूभाग है।

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 107 सीटें हैं, जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटों को खाली रखा जाता है। ये एक तरह से प्रतीकात्मक है, जो ये संदेश देता है कि पीओके के भारत में शामिल होने के बाद उन 24 खाली सीटों को भरा जाएगा।

एक बात तो तय है कि कश्मीर के पुनर्गठन के फैसले का बड़ा असर पडऩे वाला है। पीओके इस लिहाज से अहम हो जाता है। पाकिस्तान भी इस फैसले से आक्रोशित है। पाक के पीएम इमरान खान ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि दो परमाणु संपन्न देशों के रिश्ते बिगडऩा ठीक नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि दरअसल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देकर दरअसल भारत ने कश्मीर की समस्या ही खत्म कर दी है।

भारत ने कश्मीर के अपने अंदरूनी मसले को सुलझाया

हालांकि केन्द्र सरकार के इस फैसले से अब कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के साथ बातचीत का मुद्दा खत्म हो गया है। अब सिर्फ एक ही मुद्दा बचा है और वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का।

भारत अब पीओके के मसले पर ही पाकिस्तान के साथ बातचीत को आगे बढ़ा सकता है, क्योंकि कश्मीर के अपने अंदरूनी मसले को भारत ने अनुच्छेद 370 को खत्म करके सुलझा लिया है। हालांकि अब पाकिस्तान हताशा में अटपटे फैसले ले सकता है।

इसके अलावा इस फैसले से भारत पाकिस्तान के बीच इंडस वाटर ट्रीटी पर असर पड़ सकता है। इस ट्रीटी के मुताबिक कश्मीर में भारत के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को पानी मिलना है। पाकिस्तान इसमें अड़चन पैदा कर सकता है। पाकिस्तान पीओके में आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत को परेशान कर सकता है।

यह भी पढ़ें : ‘अब मोदी सरकार तोड़ सकती है राजीव गांधी का रिकॉर्ड’

यह भी पढ़ें :धारा 370 हटाए जाने के बाद महबूबा, उमर गिरफ्तार

यह भी पढ़ें : क्‍या ‘अनुच्‍छेद 370’ ही सारी समस्‍याओं की जड़ है!

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com