न्यूयॉर्क. पाकिस्तान ने 1 जुलाई 2024 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मासिक अध्यक्षता संभाल ली है। यह भूमिका हर महीने सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों के बीच घूर्णन के आधार पर बदलती है, जिनमें पाँच स्थायी और दस अस्थायी सदस्य होते हैं। पाकिस्तान इस साल की शुरुआत में अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था, जिसे 193 में से 182 देशों ने समर्थन दिया था।
भारी बहुमत से मिली थी सदस्यता
संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए मतदान में पाकिस्तान को जबरदस्त समर्थन मिला था। 193 में से 182 देशों ने पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह जिम्मेदारी वह गंभीरता, विनम्रता और अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ निभाएगा।
जुलाई में कई अहम बैठकों का होगा नेतृत्व
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आसिम इफ्तिखार अहमद ने बताया कि पाकिस्तान की अध्यक्षता पारदर्शी और समावेशी होगी। उन्होंने कहा कि आज की अस्थिर वैश्विक परिस्थितियों, बढ़ते संघर्षों और मानवीय संकटों के बीच यह भूमिका बेहद अहम होगी। वे खुद जुलाई महीने में UNSC की कई महत्वपूर्ण बैठकों का संचालन करेंगे।
राजदूत इफ्तिखार ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस से भी मुलाकात की और उन्हें आगामी बैठकों की कार्ययोजना से अवगत कराया।
कूटनीति और संवाद पर रहेगा ज़ोर
पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि वह परिषद में “संतुलित और सैद्धांतिक दृष्टिकोण” लाने का प्रयास करेगा, जो कि संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक शांति प्रयासों में उसके ऐतिहासिक योगदान पर आधारित होगा।
विदेश मंत्री इशाक डार करेंगे प्रमुख चर्चाओं की अध्यक्षता
22 जुलाई को “बहुपक्षीय सहयोग और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान” विषय पर खुली बहस होगी। वहीं 24 जुलाई को “संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के बीच संबंधों” पर चर्चा होगी। इन दोनों बैठकों की अध्यक्षता पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार करेंगे।
पड़ोसी देश भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
UNSC अध्यक्ष बनने की यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब भारत और पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण हैं। हाल ही में भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी। इसके अलावा भारत ने सिंधु जल संधि को भी आंशिक रूप से स्थगित किया है।
30 जून 2025 को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा था — “आतंकवाद को समर्थन देने वाले देश अंतरराष्ट्रीय कानून और स्थायित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। ऐसे प्रयासों को उजागर करना हमारी जिम्मेदारी है।”