Sunday - 7 January 2024 - 6:08 AM

ओवैसी ने बढ़ाई बिहार की सियासी धड़कन

जुबिली न्यूज़ डेस्क

पटना. बिहार में चुनावी बयार बहने वाली है. इस बयार में बीजेपी और नितीश कुमार साथ खड़े हैं. इन दोनों का सीधा मुकाबला लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल से है. राजद मौजूदा समय में भी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. नितीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड, बीजेपी और लालू के राजद के चुनाव गणित को अचानक से असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने गड़बड़ा दिया है.

बिहार में लालू यादव और नितीश कुमार दोनों ही 15-15 साल सरकार चला चुके हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों ही 15 साल बनाम 15 साल के नारे पर मतदाताओं के बीच जाने वाले हैं. दोनों ही चाहते हैं कि जनता तय करे कि किसकी सरकार के 15 साल बेहतर साबित हुए हैं लेकिन असदुद्दीन ओवैसी इस चुनाव में न सिर्फ लालू और नितीश के 30 सालों के काम की समीक्षा करेंगे बल्कि कांग्रेस के 40 साल के कार्यकाल का मुद्दा भी उठाएंगे. ओवैसी जनता के सामने यह सवाल इछालेंगे कि आखिर आज़ादी के बाद के 70 साल में उन्हें क्या मिला.

बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने फ़िलहाल किसी भी पार्टी से गठबंधन की बात नहीं की है. पार्टी ने बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. 22 जिलों की 32 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी तय कर लिए हैं. हालांकि समान विचारधारा वाले किसी दल से गठबंधन का मामला तय हो गया तो पार्टी गठबंधन भी कर सकती है.

आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बताया कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. उन्होंने बताया कि फिलहाल हमने 32 सीटों का एलान कर दिया है. जल्दी ही हम अपनी दूसरी लिस्ट भी जारी करेंगे.

एआईएमआईएम ने जिन 32 सीटों का एलान किया है उनमें से सिर्फ दो सीटें आरक्षित हैं. बाकी सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं. इन 32 सीटों में किशनगंज जिले की सीटें शामिल नहीं हैं जबकि किशनगंज से पार्टी का विधायक भी है. ओवैसी की नज़र फिलहाल बिहार के सीमांचल इलाके पर है. इस इलाके में 24 विधानसभा सीटें हैं और यहाँ 40 फीसदी मतदाता मुसलमान हैं.

बिहार में पिछले साल हुए उप चुनाव में किशनगंज सीट से ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी कमरुल हुदा चुनाव जीते थे. यह जीत सीमांचल की सभी सीटों पर असर डालेगी. किशनगंज में एआईएमआईएम का अच्छा असर है. लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम के अख्तरुल इमाम ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया था. पार्टी लोकसभा चुनाव तो हार गई लेकिन कुल वोट का 26.78 फीसदी वोट हासिल कर बिहार की राजनीति में भविष्य की संभावनाओं की स्पष्ट तस्वीर सामने रख दी. इस चुनाव में अख्तरुल इमाम को दो लाख 95 हज़ार 29 वोट हासिल हुए थे. ऐसे में ज़ाहिर है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में किशनगंज की विधानसभा सीटों के साथ-साथ सीमांचल चुनाव के नतीजे पूरे देश को चौंकाने वाले हो सकते हैं.

किशनगंज विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं यह बात बिहार के राजनीतिक दल भी बखूबी समझ सकते हैं क्योंकि किशनगंज लोकसभा चुनाव में पड़े वोटों की बात करें तो किशनगंज के कोचाधामन विधानसभा सीट पर ओवैसी की पार्टी को 68024 वोट हासिल हुए थे जबकि जनता दल यूनाइटेड को 38721 और कांग्रेस को 36984 वोट ही हासिल हुए थे.

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इसी तरह किशनगंज की बहादुरगंज सीट पर ओवैसी की पार्टी को 67625 वोट मिले थे जबकि जदयू को 52486 और कांग्रेस को 44492 वोट हासिल हुए थे.

बिहार विधानसभा में ओवैसी की पार्टी का विधायक है. लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन रहा है. सीमांचल में मुसलमानों का 40 फीसदी वोट होना और पार्टी की बिहार मे बढ़ती हुई जड़ें दूसरे राजनीतिक दलों की नींद उड़ाने वाली है.

एआईएमआईएम ने बिहार के 22 जिलों कटिहार, पूर्णिया, अररिया, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिम चम्पारण, मोतिहारी, सीतामढ़ी, पटना, सीवान, सहरसा, भागलपुर, बेगुसराय, गोपालगंज, कैमूर, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद और आरा की 32 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर बिहार चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है.

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