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ओमेक्स रेजिडेंसी-1: पहले उड़ायी एक्ट की धज्जियां, अब चुपके से बढ़ाया मेटनेंस फीस

ओम दत्त

लखनऊ। लॉकडाउन और कोरोना ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है। आलम तो यह है कि लोगों का काम-धंधा पूरी तरह से बंद हो गया है। इतना ही नहीं लोगों को दो वक्त की रोटी भी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है। कई लोगों पर बेरोजगार होने का खतरा भी मंडरा रहा है।

हालांकि सरकार लोगों को भरोसा जता रही है कि बहुत जल्द सब कुछ पटरी पर लौटेंगा लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो कठिन समय में ही अपना मुनाफा बनाने में लगे हुए है।

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दरअसल ओमेक्स रेजिडेंसी-1 के रेजिडेंसी वेलफेयर एसोसिएशन ने मेनटेंस फीस को बढ़ाने का फैसला किया है। इतना ही नहीं ओमेक्स रेजिडेंसी वन के रेजिडेंसी वेलफेयर एसोसिएशन अपार्टमेंट एक्ट की जमकर धज्जियां उड़ा चुका है।

जरूरी बात यह है कि लॉकडाउन और कोरोना की वजह से आम इंसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई लेकिन ऐसे वक्त में मेनटेंस फीस के नाम पर 600- 700 बढ़ाने का फैसला कहा तक सही है। इसको लेकर अब सवाल उठ रहा है।

कोरोना के संकट काल में लोगों की आमदनी कम हो गई और ऐसे में परिवार चलना भी मुश्किल हो रहा है लेकिन ओमेक्स रेजिडेंसी वन के रेजिडेंसी वेलफेयर एसोसिएशन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

लोगों का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते तीन महीने कारोबार ठप पड़ा है और मेनटेंस फीस सही नहीं है। जानकारी के मुताबिक सारा खेल गुपचुप तरीके से किया गया है।

आरडब्ल्यूए के खिलाफ आवंटियों ने खोला मोर्चा

आवंटियों ने अब ओमेक्स रेजिडेंसी वन के रेजिडेंसी वेलफेयर एसोसिएशन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आरडब्ल्यूए के खिलाफ लोग अब सड़क पर उतर आए है और मेनटेंस फीस बढऩे का कड़ा विरोध किया है।

लोगों ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए अपारर्टमेट के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया है। हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा गया है। लोगों का कहना है कि मेनटेंस फीस को लेकर उनको अंधेरे में रखा गया है।

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पदाधिकारियों को बगैर बताये गुपचुप तरीके से फीस बढ़ा दी गई है जो सरासर गलत है। बता दें कि पहले मेनटेंस फीस के नाम पर 1920 रुपये लिए जाते थे लेकिन अब 2520 रुपया लिया जाएगा, जबकि जो लोग 2240 रुपये जमा करते थे उन्हें अब 2940 रुपया लिया जाएगा। इसके साथ आवंटियों को बिजली का बिल भी देना पड़ता है।

आरडब्ल्यूए ने अपार्टमेंट एक्ट की उड़ायी धज्जियां

ओमेक्स रेजिडेंसी वन के रेजिडेंसी वेलफेयर एसोसिएशन ने जो अपार्टमेंट तो बनाया लेकिन इस दौरान अपार्टमेंट एक्ट की जमकर धज्जियां उड़ायी है। इतना ही नहीं सोसाइटी के लोगों ने ओमेक्स रेसीडेंसी 1 के निवासीगण दोबारा कराने के लिए विभाग से गुहार लगायी लेकिन इसको लेकर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

बताया जा रहा है कि अप्रैल 2017 में ओमेक्स रेसीडेंसी 1 रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का रजिस्ट्रेशन किया गया था, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 1-185666 है लेकिन विभाग द्वारा बिना अपार्टमेंट एक्ट का पालन किए किसी संस्था का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया?

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इसको लेकर कई बार मौखिक और लिखित सूचना एवं शिकायत प्रस्तुत की गई किन्तु विभाग द्वारा लगातार इसपर जानबूझकर कोई कार्यवाही नहीं की गई जिसका खामियाजा सोसायटी 2017 से आज तक भुगत रही है।

आवंटियों ने विभाग से की शिकायतें

इस पूरे मामले पर आवंटियों ने कड़ा विरोध दर्ज कर एक पत्र लिखकर विभाग से इसकी शिकायत भी की है।

  • क्या संस्था का पंजीकरण अपार्टमेंट एक्ट के तहत सभी तथ्यों की जांच करने के बाद ही हुआ है?
  • क्या प्राधिकरण द्वारा उक्त संस्था के सदस्यों के स्वामित्व एवम् सभी साक्ष्य की noc उपलब्ध कराई गई थी?
  • अपार्टमेंट एक्ट के तहत संस्था को अपना एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर चुनाव क्यों नहीं कराया गया।
  • कई बार इसको लेकर शिकायत की गई लेकिन विभाग ने इसपर कोई एक्शन नहीं लिया।
  • फ्लैट स्वामियों के कहने के बावजूद विभाग अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडता रहा है। इतना ही नहीं वर्तमान कार्यसमिति को कालबाधित किए हुए प्राधिकरण के ऊपर सारा मामला डाल दिया, जिसके लिए उच्च न्यायालय द्वारा दंड भी सुनिश्चित किया गया है।
  • उच्च न्यायालय ने उक्त के संदर्भ में प्राधिकरण द्वारा कराए गए चुनाव को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि कार्यसमिति को कालबधि़त नहीं किया जो स्वयं करना चाहिए था।
  • उच्च न्यायालय द्वारा आदेश प्राप्ति के दो महीने के भीतर Valid Members के बीच चुनाव करवाने का आदेश  दिया गया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ है।
  • उक्त के क्रम में नवगठित कार्यकारिणी जो कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद निरस्त हो गई थी, के द्वारा एक विशेष सुनवाई का आवेदन दिया गया था, जो कि फरवरी 2020 में उनके द्वारा वापस लिया जा चुका है, अतः वर्तमान में कोई भी केस उक्त संस्था के क्रम में नहीं पेंडिंग है।
  • अपार्टमेंट एक्ट की सही व्याख्या एवम् निर्वाह होना आप द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए, किन्तु अगर आप या आपका विभाग ऐसा नहीं करता है तो समाज के एक बहुत बड़े वर्ग का शोषण होता है, जैसा कि हमारी सोसायटी में लगातार ३ से अधिक वर्षों से होता चला आ रहा है।

अगर अब इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो मजबूर होकर फ्लैट के आवंटियों का कहना है कि यदि इस पर कड़ा एक्शन नहीं लिया जाता है तो विभाग के खिलाफ जो धरना प्रदर्शन और इसकी शिकायत उच्च स्तर पर की जाएगी।

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