Tuesday - 9 January 2024 - 1:40 PM

उमर और फारूक खुद को छला महसूस कर रहे हैं : सफिया अब्दुल्ला 

न्यूज डेस्क

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को निष्प्रभावी हुए दो माह होने वाले हैं, लेकिन अब तक जन-जीवन सामान्य नहीं हुआ। सरकार लगातार दावा कर रही है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का जीवन पटरी पर आ रहा है लेकिन विपक्षी दल के नेता लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि लोगों की बद्तर स्थिति है।

कश्मीर में सैकड़ों राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता अभी भी नजरबंद है। कश्मीर के दिग्गज नेता फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला अभी भी हिरासम में हैं।

इस बीच फारूक अब्दुल्ला की बेटी सफिया अब्दुल्ला ने इन दोनों नेताओं की हिरासत पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि-मेरे पिता फारूक अब्दुल्ला और भाई उमर के साथ केन्द्र सरकार ने जिस तरह का बर्ताव किया है और जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा जिस तरह से समाप्त कर दिया गया है, उसके बाद वे छला हुआ महसूस कर रहे हैं।

सफिया अब्दुल्ला परिवार की पहली सदस्य हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और नेशनल कॉन्फ्रेंस के दोनों नेताओं की हिरासत के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है।

डिजिटल मीडिया द वायर को दिए साक्षात्कार में साफिया ने 15 सितंबर को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत अपने पिता फारूक अब्दुल्ला की गिरफ्तारी पर भी निराशा प्रकट की और बताया कि उस रात 11:30 बजे उन्हें इस क्रूर कानून के तहत उनकी गिरफ्तारी के आदेश के बारे में बताया गया।

पूरी घटनाक्रम पर प्रकाश डालते हुए सफिया ने बताया, ‘मेरे पिता सोए हुए थे, जब मजिस्ट्रेट और उनके साथ आए अन्य अधिकारियों ने उन्हें जगाया। उन्होंने पहले उनकी सेहत के बारे में पूछा और उसके बाद उन्हें एक सरकारी पत्र सौंपा जिसमें उनकी गिरफ्तारी के आधारों का स्पष्टीकरण दिया गया था।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में श्रीनगर के सांसद फारूक अब्दुल्ला पीएसए के तहत गिरफ्तार किए गए सबसे प्रभावशाली नाम हैं।

अधिकारियों को यह कानून ‘पहली बार अपराध करने वालों’  को बिना ट्रायल के तीन महीने तक हिरासत में लेने का अधिकार देता है।

फारूक अब्दुल्ला के गुप्कर रोड स्थित आवास को 16 सितंबर को जेल घोषित कर दिया गया। 1978 में फारूक अब्दुल्ला के पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला ने टिम्बर तस्करी से निपटने के लिए पीएसए लागू किया था।

मालूम हो बीते सालों में इस कानून का इस्तेमाल अलगाववादी नेताओं और कार्यकर्ताओं, पत्थरबाजों और आतंकवादियों के खिलाफ किया गया। ऐसा पहली बार हुआ जब पीएसए का इस्तेमाल राज्य के एक बड़े कद के नेता के खिलाफ किया गया है।

गौरतलब है कि 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करते हुए अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी कर दिया गया था। इस घोषणा के तत्काल बाद फारूक अब्दुल्ला को नजरबंद कर लिया गया था। हालांकि, संसद में अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को हिरासत में नहीं लिए जाने का दावा किया था।

सफिया अपने पिता फारूक के घर के बगलवाले घर में रहती हैं। उन्हें अपने पिता पर पीएसए लगाए जाने की जानकारी अगले दिन सुबह मिली, जब वे अपने बच्चों को स्कूल छोडऩे के लिए बाहर निकलीं।

सफिया ने बताया, ‘मैं अपने बच्चों को आर्मी स्कूल पहुंचाने के लिए घर से निकलने वाली थी, जब मैंने कुछ कर्मचारियों को बाहर देखा, लेकिन मुझे पूरा माजरा समझ में नहीं आया। जब मैं वापस आयी और पूछा कि क्या हुआ है, तब मुझे बताया गया कि मेरे पिता पर पीएसए लगा दिया गया है।’

उन्होंने कहा कि मैंने तत्काल ही घर में दाखिल होने की कोशिश की लेकिन मुझे इसकी इजाजत नहीं दी गई। यह मेरे लिए बेहद घबराहट भरा क्षण था। मैंने अधिकारियों से दरख्वास्त की कि कम से कम इंटरकॉम से मेरे पिता से बात करवा दें। जब मैंने अपने पिता से बात की तो उनकी आवाज सुनते ही मैं रोने लगी।

सफिया ने बताया कि इसके बाद वे अपने भाई और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मिलने हरि निवास में बनाई गई जेल में गईं। उमर को इसकी जानकारी अधिकारियों से हो गई थी। उसके लिए भी ये हैरान करने वाली खबर थी।

फारूक अब्दुल्ला की खराब सेहत के मद्देनजर उनकी मेडिकल देखभाल के लिए सफिया को उनके पिता से मिलने की इजाजत दी गई, मगर यह इंतजाम करने के लिए उन्हें शहर भर के चक्कर लगाने पड़े। सफिया ने कहा कि उन्हें अपने पिता से मिलने के लिए श्रीनगर के डिप्टी कमिश्नर शाहिद चौधरी से इजाजत लेनी पड़ी।

पीएसए के तहत फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देने के सवाल पर सफिया ने कहा कि आने वाले दिनों में परिवार इस पर फैसला करेगा। हम लोग (परिवार) कई वकीलों के संपर्क में हैं। फिलहाल हमारे सामने उपलब्ध सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे है।

जिस आधार पर उनके पिता पर पीएसए लगाया गया है, उसे ‘हास्यास्पद’  बताते हुए सफिया ने कहा कि उनके पिता को जो कागज दिए गए थे उसमें 2017 के बाद के उनके राजनीतिक भाषणों की अखबारी कतरनें शामिल थीं।

सफिया ने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया है, उसके बाद उनके भाई और पिता को लग रहा है कि उनके साथ विश्वासघात किया गया है।

उन्होंने कहा कि लोगों की गालियां खाने के बाद भी उमर और फारूक साहब हमेशा भारत सरकार के साथ खड़े रहे। अपने पूरे जीवन में वे ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ के पक्ष में खड़े रहे। आज उनके साथ जैसा सुलूक किया गया है, उसके बाद उन्हें लग रहा है कि उनके साथ धोखा हुआ है।

कुल मिलाकर सभी स्तरों पर हिरासत में लिए गए नेताओं की संख्या 4,000 से ज्यादा होने का अनुमान है। सरकार ने गिरफ्तारियों के आंकड़ों को साझा करने से इनकार कर दिया है। केंद्र के कदम के खिलाफ प्रतिरोध के तौर पर सफिया ने अपने घर के मुख्य दरवाजे के सामने काला झंडा लगा दिया है।

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