Thursday - 11 January 2024 - 6:21 PM

अवैध घुसपैठियों पर क्या थी पूर्व प्रधानमंत्री अटल की सोच

न्‍यूज डेस्‍क

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) को लेकर देश में अफवाहों का बाजार गर्म है। सीएए लागू होने के बाद से ही अलग-अलग राज्‍यों में कानून के खिलाफ आंदोलन चल रहा है, जो कई जगह हिंसक प्रदर्शन का रूप ले रखा है। इस दौरान 18 लोगों की मौत भी हो गई। आज भी इस कानून को लेकर जगह-जगह धरना प्रदर्शन हो रहे हैं।

इन सबके बीच देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती भी आज मनाई जा रही है। ऐसे मौके पर जब CAA, NRC और NPR के मुद्दे पर जबर्दस्त बहस का दौर जारी है। इन मुद्दों पर अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों का जानना जरूरी है।

गौरतलब है कि बांग्लादेश से अवैध घुसपैठियों की आवाजाही, असम पर पड़ने वाले इसके असर, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इसके आयाम पर पूर्व पीएम वाजपेयी संसद में अपनी राय जाहिर करते रहे हैं। बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों के प्रति अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद से देश को चेतावनी दी थी।

2004 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद 2005 में उन्होंने संसद में कहा था, “पूरब में हमारे एक पड़ोसी देश से बड़ी संख्या में गैरकानूनी तौर पर लोग आ रहे हैं। सीमा पर उचित प्रबंध नहीं है…पूछताछ का भी तरीका नहीं है…अगर कोई रोजगार के लिए आए और रोजगार कमाने के बाद वापस चला जाए वो एक स्थिति अलग है …ऐसे लोगों के लिए वर्क परमिट का भी इंतजाम किया जा सकता है।”

अटल बिहारी वाजपेयी ने घुसपैठियों से जुड़े खतरे को लेकर आगाह करते हुए कहा था, “अगर कोई चोरी छुपे आए…नदियों के रास्ते से आए…झाड़ों के झुरमुट में छिप कर आएं…और लाखों की संख्या में आएं, ये गृह मंत्रालय की रिपोर्ट है…इस बात के लिए आवाज उठाना कि उनका आना रोका जाना चाहिए…सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या का स्वरूप बदल रहा है…असंतोष पैदा हो रहा है…तनाव बढ़ रहे हैं।”

पूर्व पीएम वाजपेयी ने कहा संसद में कहा था कि बांग्लादेश से हो रहे घुसपैठ को लेकर करीमगंज में एक विशाल रैली हुई थी और ये बीजेपी की रैली नहीं थी, बल्कि स्थानीय लोगों के गुस्से का प्रकटीकरण था। वाजपेयी ने कहा था, “रैली में आए लोगों के मन में ये भाव था कि उनका आना रुकना चाहिए इतनी बड़ी संख्या में आना ये हमारे भविष्य को खतरे में डालेगा…ये हिन्दू मुसलमान का सवाल नहीं है…”

पूर्व पीएम ने कहा था कि ‘अब ये कहा जाए कि अल्पसंख्यकों के वोट का सवाल है…इस पर मत बोलो…चुप रहो…और पार्टियां क्यों नहीं बोलती है, मेरी समझ में नहीं आता है…कोई देश इस तरह से बड़े पैमान पर अवैध घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं कर सकता है…ये ठीक है कि पूरी तरह से रोकना मुश्किल होता है…लेकिन ये समस्या है. और इसकी रोकथाम होनी चाहिए…और अगर हम आवाज उठाते हैं तो देश के हित में उठाते हैं…वोट के लिए नहीं उठाते हैं, ये बात लोगों के गले में उतरनी चाहिए।”

बतात चले कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन अभी जारी हैं। दिल्‍ली से लेकर कोलकाता तक और चैन्‍नई से लेकर मुंबई तक इस कानून के पक्ष और विपक्ष में लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्‍ली के जामिया यूनिवर्सिटी में हिंसक प्रदर्शन होने के बाद कई जगह तोड़-फोड हुआ। यूपी की राजधानी लखनऊ समेत 21 जिलों में आंदोलनकारियों ने सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाया और पुलिस पर हमला किया। इसके इंटरनेट को बंद कर दिया गया है, जिससे आम जन जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है। वहीं पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों में भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है।

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