Thursday - 11 January 2024 - 1:53 AM

अब शहर में प्लास्टिक से बनेगी सड़क

धीरेन्द्र अस्थाना

लखनऊ। शहर में अब प्लास्टिक से सड़क बनायी जाएगी। चुनाव बाद इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने इस सम्बंध में काम शुरू भी कर दिया है। प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया नाम से मशहूर प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन की तकनीकी के जरिए प्राधिकरण यह सड़क बनाएगा।

आपको बता दे की वे पिछले दिनों लखनऊ का भ्रमण कर चुके हैं। पहले चरण में आईआईएम रोड पर सड़क बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। सड़कों के निर्माण में अलकतरा कोलतार के साथ ही 10 फीसदी प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल होगा। प्लास्टिक के इस्तेमाल से एक किमी सड़क बनाने में 90 लाख से एक करोड़ का खर्च आएगा।

पहले चरण में आईआईएम रोड पर एल्डिको रोड को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। एलडीए में अधिशासी अभियंता आनंद मिश्रा की माने तो पहले एक किमी सड़क बनायी जाएगी। सफलता मिलने के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने बताया 7 मीटर चौड़ी एक किमी सड़क को बनाने में करीब एक करोड़ लागत आएगी।

प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया कर चुके हैं भ्रमण, एक किमी सड़क बनाने में एक करोड़ की आएगी लागत

मदुरै स्थित त्यागराजन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक राजगोपाल वासुदेवन ने सबसे पहले प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाने की तकनीक खोजी थी।

इस तकनीकी में गिट्टी में अलकतरा मिलाते वक्त ही प्लास्टिक कचरे की कतरन से बना पेस्ट मिला दिया जाए तो सड़क निर्माण की लागत तो कम आती ही है उसकी मजबूती बढ़ जाती है। परीक्षण के तौर पर देश के कई हिस्सों में इस तकनीक से सड़कें बन चुकी हैं।

इस तरह बनती है सड़क

जानकारी के अनुसार, सबसे पहले पॉलिथीन के कैरी बैग, प्लास्टिक के कप- ग्लास, नमकीन- भुजिया के पैकेट या रैपर, चॉकलेट- लेमन चूस के रैपर और शैंपू- सॉस आदि के सैशे को बीन कर उसकी सफाई की जाती है। फिर उसे मशीन से एक निश्चित आकार में काट लिया जाता है।

उसके बाद उसे 165 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे तेल जैसा एक पेस्ट तैयार हो जाता है। फिर इसे मिक्सिंग चैंबर में भेज दिया जाता है, जहां गिट्टी में कतरे के साथ प्लस्टिक कचरे से तैयार पेस्ट को भी मिला दिया जाता है।

वासुदेवन प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर हैं और अपने इनोवेशन से यह काम कर रहे हैं। उनके इस सराहनीय कार्य के लिए भारत सरकार ने उन्हें नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने सबसे पहले 2002 में अपनी तकनीक से एक कॉलेज के परिसर में प्लास्टिक कचरे से रोड का निर्माण कराया।

बताया जाता है कि एक बार वो टीवी देख रहे थे तब उन्होंने देखा कि टीवी में एक डॉक्टर प्लास्टिक के नुकसान के बारे में बता रहे थे। तभी से उन्होंने कुछ करने की सोची। इसके बाद से अपने इनोवेशन से प्लास्टिक का इस्तेमाल सड़क बनाने में कर रहे हैं।

एलडीए के मुख्य अभियंता इंदुशेखर सिंह ने बताया प्लास्टिक से सड़क बनाने की कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया गया है। बीते दिनों प्लास्टिक मैन ने यहां भ्रमण किया है। सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल से तीन फायदे होंगे। इससे शहर में पॉलिथीन और प्लास्टिक के कचरे से निजात मिलेगी, इससे सड़कें ज्यादा मजबूत बनने के साथ लागत घटेगी।

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