जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा एलान किया है। नीतीश ने जनता से भावुक अपील करते हुए कहा कि ये मेरा आखिरी चुनाव है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों इसके सियासी मायने निकाले जा रहें हैं। कोई इसे नीतीश का ब्रह्मास्त्र बता रहा है तो कोई इसे नीतीश की हार बता रहा है।
लेकिन इतिहास के पन्नों में इस तरह के बयानों की चर्चा की जाए तो देखने को मिलता है कि नीतीश ने ये बयान यूं ही नहीं दिया है। दिलचस्प बात ये है कि नीतीश का बयान उस समय आया है जब पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार की जनता के नाम चिट्ठी लिखी है और कहा है कि हमें नीतीश कुमार की जरूरत है।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जान लीजिए आज चुनाव का आखिरी दिन है और परसों चुनाव है। यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला। नीतीश कुमार के इस बात से साफ संदेश है कि उन्होंने सहानुभूति बटोरने की कोशिश की है।
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इसके पहले नीतीश कुमार से जब कभी उनके रिटायरमेंट के बारे में पूछा जाता तो वह सवाल टाल देते थे। पिछले दिनों कुछ चैनलों को दिए इंटरव्यू में भी उन्होंने इस सवाल को टालते हुए कहा था कि ‘इस बारे में मत पूछिए, जब तक जनता काम करने का मौका देगी, काम करेंगे।’ इसीलिए गुरुवार को उन्होंने आखिरी चुनाव वाला ऐलान किया तो हर कोई चौंक गया।
नीतीश के इस बयान को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के उस बयान से जोड़ा जा रहा है जो उन्होंने पंजाब 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान दिया था और कहा था कि ये मेरा आखिरी चुनाव है और इसमें मैं प्रकाश सिंह बादल उनके घर में हराऊंगा और ठीक वैसा हुआ भी।
कैप्टन इस दांव में कामयाब भी हो गए थे। अमरिंदर सिंह अपने आखिरी चुनाव में बादल को हराने में कामयाब हुए हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के इस बयान की तुलना भी कैप्टन की बात से की जा रही हैं। हालांकि कैप्टन ने यह बात चुनाव की शुरुआत में ही कही थी। लेकिन नीतीश कुमार बिहार में 2 चरण के चुनाव संपन्न हो जाने के बात यह बात कही है।
दरअसल, चुनावी रैलियों के दौरान नीतीश कुमार को कई जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ा है। इस दौरान वह गुस्से में भी नजर आए हैं। चर्चा यह भी है कि पहले चरण की रिपोर्ट से भी वह संतुष्ट नहीं हैं। साथ ही दूसरे चरण से उम्मीद के मुताबिक भरपाई नहीं हो पा रही है। हालांकि सारी चीजें रिजल्ट के बाद ही साफ हो पाएगी। ऐसे में नीतीश कुमार ने आखिरी दिन इमोशनल कार्ड खेला है। साथ ही राजनीति से संन्यास की उन्होंने घोषणा भी कर दी है।
महागठबंधन में सीएम पद के दावेदार तेजस्वी यादव पहले से ही कह रहे हैं कि नीतीश कुमार थक गए हैं। वहीं, नीतीश ने आज के बयान से एक भावुक अपील करने की कोशिश की है कि आप मुझे आखिरी मौका दीजिए। हालांकि अब तेजस्वी के पास यह मौका नहीं बचा है कि वह लोगों के बीच में जाकर यह बात कह सकें। लेकिन वह सोशल प्लेटफॉर्मों के जरिए इस बयान का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।
सात नवम्बर को 78 सीटों के लिए होने वाले मतदान से ठीक पहले बिहार के लोगों के सामने नीतीश की इस भावुक अपील का क्या असर पड़ा यह तो 10 नवम्बर को ही पता चलेगा लेकिन फिलहाल बिहार में सबसे बड़ा सवाल यह है कि 43 साल से राजनीतिक सफलता की इबारत लिख रहे, अब तक छह बार मुख्यमंत्री रह चुके और 15 साल से बिहार पर एकछत्र राज कर रहे नीतीश क्या वाकई संन्यास ले लेंगे? क्या इस भावुक अपील के बाद उन्हें एक और मौका मिलेगा।