Wednesday - 30 April 2025 - 3:24 PM

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन, पूर्व RAW प्रमुख आलोक जोशी बने अध्यक्ष

जुबिली न्यूज डेस्क 

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का बड़ा पुनर्गठन किया है। इस बोर्ड की कमान अब भारत के पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी को सौंपी गई है। इस बार बोर्ड में सेना, पुलिस और विदेश सेवा के अनुभवी और सेवानिवृत्त अधिकारियों को शामिल किया गया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब देश हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव के दौर से गुजर रहा है।

NSAB में शामिल किए गए नए सदस्य:

  • आलोक जोशी – पूर्व रॉ प्रमुख, अध्यक्ष

  • एयर मार्शल पीएम सिन्हा – पूर्व पश्चिमी वायु सेना कमांडर

  • लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह – पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर

  • रियर एडमिरल मोंटी खन्ना – भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके

  • राजीव रंजन वर्मा – सेवानिवृत्त IPS

  • मनमोहन सिंह – सेवानिवृत्त IPS

  • बी. वेंकटेश वर्मा – सेवानिवृत्त IFS अधिकारी

क्या करता है NSAB?

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड एक बहु-विषयक रणनीतिक संस्था है, जो सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी नीतियों पर दीर्घकालिक सलाह देता है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) को भविष्य की चुनौतियों और खतरों से निपटने के लिए सिफारिशें देना और रणनीतिक दिशा प्रदान करना होता है। इसमें सरकार से बाहर के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को शामिल किया जाता है।

2018 के बाद पहली बार हुआ पुनर्गठन

NSAB में आखिरी बार बदलाव 2018 में हुआ था। अब 2025 में इसे फिर से संरचित किया गया है। इस बार बोर्ड में सैन्य, खुफिया, राजनयिक और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े अनुभवी अफसरों को शामिल किया गया है, जिससे इसकी रणनीतिक क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति में इजाफा होगा।

पहलगाम हमले के बाद बढ़ी हलचल

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई थी। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने सोमवार को लगातार पांच अहम बैठकें कीं, जिनमें कैबिनेट की सुरक्षा समिति (CCS), राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA), आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) और वरिष्ठ सचिवों के साथ सुरक्षा को लेकर गहन चर्चा की गई।

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NSAB का यह पुनर्गठन भारत की सुरक्षा नीति में एक अहम मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है। पूर्व RAW प्रमुख आलोक जोशी जैसे अनुभवी अधिकारी की अध्यक्षता में बोर्ड अब और अधिक प्रभावी भूमिका निभाएगा। यह कदम सरकार की “जीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म” नीति को और मजबूती देने वाला साबित हो सकता है।

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