न्यूज डेस्क
केंद्रीय कानून मंत्रलय चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद आधार संख्या को वोटर आइडी से जोड़ने की खातिर कानून तैयार करने के लिए एक कैबिनेट नोट पर काम कर रहा है।
इसका मकसद मतदाताओं को कई जगह मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने से रोकना है। सूत्रों ने बताया कि मंत्रलय जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन पर काम कर रहा है।
प्रस्तावित संशोधनों को विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति के सामने पेश किए जाने की उम्मीद है, ताकि वह इसे संसद में रख सके।
जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन के बाद नागरिकों को गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए अपने मतदाता फोटो पहचान पत्र को 12-अंकों के आधार नंबर से जोड़ने की आवश्यकता होगी।
एक अधिकारी ने बताया कि अभी यह फैसला नहीं लिया गया है कि कैबिनेट नोट को कब मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा। लेकिन, उन्होंने संकेत दिया कि इसे 31 जनवरी से शुरू होने जा रहे बजट सत्र से पहले या इसके दौरान प्रस्तुत किया जा सकता है।
चुनाव आयोग ने पिछले साल अगस्त में कानून मंत्रलय को पत्र लिखकर जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन की सिफारिश की थी, ताकि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने वालों और मौजूदा मतदाताओं से आधार नंबर मांगा जा सके।
मतदाता सूची में कई प्रविष्टियों की जांच करने और उन्हें त्रुटि मुक्त बनाने के लिए आयोग ने 2015 में मतदाताओं के डाटा के साथ आधार संख्या को जोड़ने की खातिर राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धीकरण और प्रमाणीकरण कार्यक्रम परियोजना शुरू की थी। आयोग ने 23 जनवरी, 2015 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को एक पत्र लिखा था।