Saturday - 13 January 2024 - 2:12 AM

पहली बार बैकफुट पर आए मोदी, कृषि कानून रद्द करने का ऐलान

जुबिली न्यूज डेस्क

साल 2014 से केंद्र की सत्ता में काबिज मोदी सरकार पहली बार बैकफुट पर आई है। जी हां, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज तीनों कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा की।

सत्ता में आने के बाद से पहली बार मोदी सरकार किसी मसले पर झुकी है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों को मोदी ने आज बड़ा तोहफा दिया।

पीएम मोदी ने आज देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की और साथ में इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे किसानों को घर वापस लौटने की भी अपील की।

इस दौरान मोदी ने कहा, हम कृषि में सुधार के लिए तीन कानून लाए गए थे, ताकि छोटे किसानों को और ताकत मिले। सालों से ये मांग देश के किसान और विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री मांग कर रहे थे।

मोदी ने कहा कि इस महीने के अंत से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान तीनों कानूनों को सदन के जरिए वापस ले लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जब ये कानून लाए गए, तो संसद में चर्चा हुई। देश के किसानों, संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं सभी का बहुत बहुत आभारी हूं।

मोदी ने कहा कि, साथियों हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी, लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।

उन्होंने कहा, भले ही किसानों का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा था। हमने बातचीत का प्रयास किया। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया। फिलहाल हमने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है।

इसके साथ ही मोदी ने किसानों से अपील की, आप अपने अपने घर लौटे, खेत में लौटें, परिवार के बीच लौटें, एक नई शुरुआत करते हैं।

एक साल से चल रहा किसानों का प्रदर्शन

साल 2014 में केंद्र की सत्ता में आई मोदी सरकार को इस अवधि में कई विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन सरकार सरकार ने घुटने नहीं टेके। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग था।

इस बार सरकार का मुकाबला देश के अन्नदाता से था। पिछले 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सरकार ने बहुत कोशिश की लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए। भयंकर ठंड, गर्मी और बरसात में ये किसान सीमाओं पर डेरा डाले रहे।

इस दौरान किसानों ने रेल रोको से लेकर भारत बंद तक कई आयोजन किए। गाजीपुर बॉर्डर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से आए किसान बैठे हैं जबकि टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा और पंजाब के किसानों का जमावड़ा है।

क्या है झुकने की वजह

मोदी सरकार के इस ऐलान के बाद किसान अपना आंदोलन खत्म करते हैं या नहीं यह आने वाले समय में पता चल जायेगा, लेकिन पीएम मोदी के आज के ऐलान पर राजनीतिक विश्लेषकों को बहुत अचंभा नहीं हुआ है।

वरिष्ठï पत्रकार सुरेन्द्र दुबे कहते है, ये तो होना ही था। किसान जिस तरह से राज्यों में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हुए थे उससे सरकार को ये तो करना ही था। अगले साल यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव को देखते हुए ही यह फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले ही कई राज्यों में उपचुनाव भी हुआ था। उसमें भी भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं था। जाहिर है यह सब देखते हुए सरकार को फैसला करना ही था।

इस मामले में वरिष्ठï पत्रकार सुशील वर्मा कहते हैं, यह किसानों की एकता की बड़ी जीत है। मोदी का यह ऐलान अच्छा लगा लेकिन इसे देर आयद दुरुस्त आयद तो हरगिज नहीं कहा जायेगा।

उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों को लागू कराने के लिए सरकार और सत्ताधारी दल के लोगों ने किसानों पर बहुत जुल्म ढ़ाये हैं। किसानों के इस आंदोलन को विश्व इतिहास का सबसे लंबा और लोकतांत्रिक जन आंदोलन माना गया है। एक साल में 600 से अधिक किसानों को विभिन्न कारणों और परिस्थितियों में अपनी जान गंवानी पड़ी।

उन्होंने कहा, सरकार को भलीभांति एहसास हो गया था कि किसान आंदोलन खत्म करेंगे नहीं और इसका खामियाजा यूपी, पंजाब के चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com