Tuesday - 9 January 2024 - 11:31 AM

‘गला दबाने’ से ‘गले पर हाथ’ लगाने तक बार-बार पलटी प्रियंका

न्‍यूज डेस्‍क

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की करारी हार और अमेठी सीट हाथ से गंवाने के बाद से ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्‍तर प्रदेश की राजनीति को अपनी अस्मिता से जोड़ रखा है। इसका ताजा उदाहरण शनिवार यानी 28 दिसंबर को कांग्रेस के 135वें स्‍थापना दिवस के दिन देखने को मिला। जहां प्रियंका की राजनीति उनकी महत्वकांक्षा के आगे कमजोर पड़ती दिखाई दी और अभी तक साफ सुथरी राजनीति करने वाली कांग्रेस महासचिव को झूठ का सहारा लेना पड़ा।

उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा बन चुकी प्रियंका इन दिनों पार्टी को खड़ा करने में लगी है। जनता के बीच जगह बनाने के लिए जगह-जगह जाकर लोगों से मिल रही हैं। शनिवार को भी प्रियंका लखनऊ के इंदिरानगर में पूर्व आईपीएस एस.आर. दारापुरी व सोशल ऐक्टिविस्ट और कांग्रेस प्रवक्ता सदफ जफर को मिलीं।

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा भड़काने तथा अन्य आरोप में पुलिस ने पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी और कांग्रेस प्रवक्ता सदफ जफर को गिरफ्तार किया हुआ है। लेकिन इस मुलाकात से पहले काफी कुछ हुआ, जिसे बीजेपी नौटंकी करार दे रही है।

दरअसल, प्रियंका गांधी ने कहा है कि कांग्रेस का स्थापना दिवस मनाकर लखनऊ में रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी के परिजनों से मिलने जा रही थीं। इसी दौरान पुलिस ने उनकी गाड़ी को जबरन लोहिया पार्क के सामने घेर लिया।

प्रियंका के मुताबिक, पुलिस से उनसे कहा कि वो आगे नहीं जा सकतीं। जब वो गाड़ी से उतर कर पैदल जाने लगीं तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेर लिया। इस दौरान उनका गला दबाने की भी कोशिश की गई। इसको लेकर उन्‍होंने अपने फेसबुक पर एक पोस्‍ट भी लिखी और वीडियो भी शेयर किया।

प्रियंका गांधी ने यूपी पूलिस पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘मैं अपना प्रोग्राम खत्म करके, बगैर किसी को कहे ताकि तमाशा न हो और डिस्टर्बेंस न हो, हम 4-5 लोग गाड़ी में बैठकर यहां आ रहे थे दारापुरी जी के परिवार से मिलने। रास्ते में पुलिस एक गाड़ी आई और उन्होंने हमारी गाड़ी के आगे रोक दी। उन्होंने हमसे कहा कि आप नहीं जा सकते। हमने पूछा कि क्यों नहीं जा सकते?

उन्होंने कहा हम आपको जाने नहीं देंगे। मैंने कहा कि मुझे रोकिए। मैं गाड़ी से उतर गई। मैंने कहा कि मैं पैदल जाऊंगी। मैं पैदल चलने लगी तो मुझे घेरा, मेरा गला दबाया, मुझे पकड़कर धकेला। ऐसा एक महिला पुलिसकर्मचारी ने किया। मैं गिर गई, उसके बाद मैं फिर चलती रही। थोड़ी देर बाद फिर मुझे रोका, फिर मुझे पकड़ा। उसके बाद मैं अपने कार्यकर्ता के साथ टूवीलर पर बैठकर चली गई। उसके बाद उन्होंने टूवीलर को भी घेरा। मैं फिर पैदल यहां तक आई हूं।’

प्रियंका गांधी वाड्रा की तरफ से यूपी पुलिस पर लगाए गए आरोप के मामले ने शाम होते होते खासा तूल पकड़ लिया सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर समर्थन और विरोध की बहस छिड़ी गई। इसके बाद लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथिनी ने कहा, ‘मॉर्निंग इंचार्ज डॉक्टर अर्चना सिंह ने अडिशनल सुपरींटेंडेंट को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जहां उन्होंने बताया है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की गाड़ी तय रूट पर नहीं जा रही थी, किसी अन्य रूट पर थी।’

लखनऊ की सीओ डॉक्टर अर्चना सिंह ने पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा, ‘यह बिल्कुल भी सच नहीं है। मैं उनकी (प्रियंका गांधी वाड्रा) फ्लीट इंचार्ज थी। किसी ने भी उनके साथ बदसलूकी नहीं की थी। मुझे करीब साढ़े चार बजे सूचना मिली कि मैडम पार्टी कार्यालय ये अपने आवास पर जाएंगी। मैडम की फ्लीट तदानुसार रवाना की गई।

फ्लीट का अगला हिस्सा उनके आवास की ओर मुड़ भी गया था, लेकिन मैम फ्लीट के साथ न जाकर सीधे जाने लगीं। मैं ये जानना चाहती थी कि मैडम कहां जाना चाहती हैं, ताकि उसे हिसाब से सुरक्षा इंतजाम किया जा सके। मैंने सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाई है। इस दौरान मेरे साथ भी धक्का-मुक्की हुई है।’

कुछ समय बाद प्रियंका गांधी अपने ‘गला दबाने’ वाले बयान से पलट गईं। उन्होंने इस बार ‘गला दबाने’ की जगह ‘गले पर हाथ’ लगाने की बात कही।

पूरे घटनाक्रम को बीजेपी ने प्रियंका गांधी वाड्रा की ‘नौटंकी’ बताया है। बीजेपी नेता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, ‘पूरा परिवार झूठ पर फल-फूल रहा है। इस तरह के काम से उन्हें सिर्फ अस्थायी पब्लिसिटी मिलेगी वोट नहीं। प्रियंका वाड्रा की नौटंकी की निंदा होनी चाहिए।’

 

 

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