विवेक कुमार श्रीवास्तव
फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को गठबंधन का प्रत्याशी बनाकर सपा और बसपा लखनऊ के साढ़े चार वोटरों को अपनी तरफ करने की जुगाड़ में हैं। दरअसल लखनऊ में कायस्थ मतदाताओं की संख्या तकरीबन सवा तीन लाख है और चूंकि पूनम सिन्हा (शादी से पहले पूनम चांदीरमानी) एक सिंधी परिवार से ताल्लुक रखती हैं और लखनऊ में सवा लाख के करीब सिंधी मतदाताओं की संख्या भी हैं। इस तरह करीब साढ़े चार लाख मतदाताओं पर गठबंधन की नज़र है।
अगर इन साढ़े चार लाख वोटरों को गठबंधन अपनी तरफ करने में सफल होता है तो लखनऊ का चुनावी समीकरण बदल सकता है। वहीं दूसरी तरफ अगर कांग्रेस ने लखनऊ सीट से अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा और पूनम सिन्हा को समर्थन दे दिया, जिसकी संभावना भी काफी अधिक है, तो पूनम सिन्हा का सीधा मुकाबला राजनाथ सिंह से होगा। फिर लखनऊ का रण बीजेपी के लिए जीतना आसान नहीं रह जाएगा।
बीजेपी पर कहीं भारी ना पड़ जाए कायस्थों की नाराजगी
दरअसल कायस्थ समाज को बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है। मगर राजनीतिक भागीदारी की बात करें तो बीजेपी ने कायस्थ समाज की हमेशा उपेक्षा की है। इसे लेकर कायस्थों में नाराजगी भी है। कायस्थों की इस नाराजगी का खामियाज़ा गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनाव में पार्टी को भुगतना भी पड़ा। इलाहाबाद में पौने दो लाख कायस्थ मतदाता हैं तो फूलपुर में कायस्थ मतदाताओं की संख्या करीब पौने तीन लाख है। उपचुनाव में कायस्थों ने बीजेपी के पक्ष में वोट नहीं किया जिसके चलते गोरखपुर और फूलपुर की सीट बीजेपी के हाथ से निकल गयी थी।
अपनी राजनीतिक उपेक्षा से नाराज नवाबी नगरी के कायस्थों ने अगर जरा भी पाला बदला तो लखनऊ में राजनाथ सिंह के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी और 28 सालों से चल रहे बीजेपी के राज का यहां से सफाया भी हो सकता है।