Friday - 12 January 2024 - 11:58 AM

मास्क व दस्ताने : कोरोना से तो बचा रहे हैं लेकिन…

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस के आने के बाद से मास्क और दस्ताने की मांग काफी बढ़ गई है। टीका आने से पहले तक कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबसे कारगर उपाय मास्क को ही माना गया था। टीका भले ही आ गया है लेकिन मास्क से छुटकारा अभी नहीं मिल पाया है।

भले ही डिस्पोजेबल मास्क, दस्ताने और अन्य प्रकार के व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण लोगों की कोराने से रक्षा कर रहे हैं लेकिन ये दूसरी ओर तमाम परेशानी भी बढ़ा रहे हैं।

साभार : डीडब्ल्यू

दरअसल डिस्पोजेबल मास्क और दस्ताने दुनिया भर में प्रदूषण फैला रहे हैं, जो चिंता का विषय है। दरअसल लोग इस्तेमाल के बाद सिंगल-यूज मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर की बोतलें सड़कों पर ही फेंक रहे हैं, जो कि लैंडफिल स्थलों, सीवेज सिस्टम और सागर में जा पहुंच रहे हैं।

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डीडब्ल्यू के अनुसार उत्तरी कैलिफोर्निया में पर्यावरण समूह इस समस्या पर नजर बनाए हुए हैं। वे इसके इसके बारे में कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं सैन फ्रांसिस्को के दक्षिण में स्थित सिटी ऑफ पैसिफिका में भी हाल ही में पैसिफिक बीच समूह ने शहर के आसपास और समुद्र तटों पर पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) में एक नाटकीय वृद्धि देखा है।

दरअसल यह ग्रुप पिछले 25 वर्षों से हर माह तट की सफाई का काम करता आ रहा है। वॉलंटियर्स साल 2020 तक रिकॉर्ड करते रहे कि वे तट से क्या उठा रहे हैं जिसका अंत महासागर में हो सकता है।

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साभार : डीडब्ल्यू2020 से पहले तक कूड़ों में ज्यादातर सिगरेट के टुकड़े और खाने के पैकेट होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ग्रुप के अध्यक्ष लिन एडम्स सवाल करते हुए कहते हैं, ”हम क्या करेंगे? हमें सफाई के दौरान मास्क, दस्ताने और हाथ साफ करने वाले वाइप्स और सैनिटाइजर वाइप्स मिल रहे हैं। वे हर जगह फैले हुए हैं। मेरे पड़ोस में और मेरी गलियों में।”

ग्रुप और अन्य लोग इस समस्या पर वहां के लोगों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो समुद्र तट पर मास्क और दस्ताने मिल रहे हैं वह केवल एक हिस्सा हो सकता है जबकि एक बड़ा हिस्सा समुद्र में जा सकता है।

एडम्स का कहना है कि बड़े स्तनधारियों पीपीई और प्लास्टिक के अंश को निगल सकते हैं और इससे समुद्र की खाद्य श्रृंखला बाधित हो सकती है।

पिछले साल ही ओशियंस-एशिया कंजर्वेशन ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया था कि सिर्फ साल 2020 में वैश्विक आधार पर 1.6 अरब मास्क महासागरों में पहुंच जाएंगे।

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ओशियंस-एशिया के अनुसार मास्क को नष्ट होने में 450 साल लग जाएंगे। पैसिफिका तट की सफाई में योगदान करने वाली सोफिया वोहल का कहना है कि, ”हम खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं, लेकिन हम बाकी पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना चाहते हैं, और उन्हें (मास्क को) जमीन पर छोड़ कर हम अभी ऐसा नहीं कर रहे हैं।”

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