Friday - 5 January 2024 - 11:51 AM

मनीषा राय हत्याकांड : कोर्ट की दखल के बाद सलाखों के पीछे पहुंचा आरोपी पति

जुबिली न्यूज डेस्क

एक आम आदमी के खिलाफ जब दहेज हत्या या घरेलू उत्पीडऩ का मामला दर्ज होता है तो पुलिस उसे गिरफ्तार करने में पल भर का समय बर्बाद नहीं करती। पुलिस कानून की दुहाई देकर लडक़े समेत उसके परिवार को सलाखों के पीछे पहुंचा देती है।

लेकिन जब यही केस किसी रसूखदार परिवार के खिलाफ दर्ज होता है तो पुलिस गूंगी-बहरी हो जाती है। तमाम साक्ष्य के बावजूद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं करती बल्कि खुद छानबीन में जुट जाती है। कड़ी से कड़ी मिलाती है और पीडि़त परिवार को धैर्य रखने को कहती है।

इतना ही नहीं यदि किसी बड़े नेता ने इस मामले में आरोपी को बचाने को कह दिया तो पुलिस साक्ष्यों को दरकिनार कर मामले को दो दिन में ही रफा-दफा कर फाइनल रिपोर्ट भी लगा देती है। पीड़ित परिवार पुलिस के दर पर न्याय की गुहार लगाता है तो पुलिस उसे धमकी देने से भी बाज नहीं आती।

लेकिन इस देश में एक जगह ऐसी है जहां सबकी सुनवाई होती है। जी हां, जिसको कहीं न्याय नहीं मिलता उसे इस देश की अदालत में न्याय मिलता है। ऐसा ही कुछ यूपी के गाजीपुर की मनीषा राय हत्याकांड मामले में हुआ है।

बिहार की रहने वाली मनीषा की शादी 20 अप्रैल 2016 में गाजीपुर के रौजा इलाके में आवास विकास कॉलोनी निवासी अभिशेष राय पुत्र उमेश राय के साथ धूमधाम से हुई थी। शादी के ढाई साल बाद 27 अक्टूबर 2019 को दीवाली के दिन मनीषा की मौत हो गई थी।

यह मामला बहुत कम लोगों को ही पता है, क्योंकि इस मामले को बहुत मीडिया कवरेज नहीं मिली थी। इस मामलों को लेकर न तो कैंडल मार्च निकाला गया और न ही किसी संगठन ने मनीषा को न्याय दिलाने की मांग की।

मनीषा के हत्या के दूसरे दिन स्थानीय अखबारों में खबर प्रकाशित हुई लेकिन उसके बाद किसी ने इस मामले में दिलचस्पी नहीं ली कि पुलिस इस मामले में क्या कर रही है। इसका भी एक कारण था। मनीषा की शादी जिस परिवार में हुई थी वह रसूखदार परिवार था। परिवार ने अखबारों को मानिहानि का मुकदमा करने की धमकी दी तो सभी पीछे हट गए।

शुुरू से लेकर अंत तक रहा पुलिस का ढुलमुल रवैया

मनीषा राय की मौत को जहां उनके परिजनों ने हत्या करार दिया था तो वहीं ससुराल वालों ने कहा था कि मनीषा की मौत बीमारी से हुई है। मनीषा के परिजनों ने यह भी कहना था कि जब मनीषा की मौत बीमारी से हुई है तो उसकी मौत के बाद परिवार वाले फरार क्यों हो गए थे?

मनीषा के परिजनों ने पुलिस में जो एफआईआर लिखवाया था उसमें कहा था कि मनीषा का पति दहेज के लिए उसे आए दिन पीटता था।

मनीषा के भाई अभिषेक ने बहुत सारे साक्ष्य पुलिस को सौंपे थे लेकिन पुलिस का रवैया इस मामले में शुरु से ढुलमुल रहा।

मनीषा राय के भाई अभिषेक आनंद के मुताबिक मनीषा की शादी बहुत धूमधाम से हुई थी। शादी में अच्छा-खासा दहेज दिया गया था। शादी के बाद से ही मनीषा को ससुराल वाले परेशान करने लगे थे। उनके साथ अक्सर मारपीट की जाती थी।

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मनीषा की मौत 27 अक्टूबर 2019 को हुई थी, और इस मामले में गिरफ्तारी 13 मई 2022 को हुई। वह भी कोर्ट के फटकार और आदेश पर। मनीषा के भाई अभिषेक ने कहा, कहते हैं न सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। जिस मामले में आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए थी उसमें ढाई साल से ज्यादा वक्त लग गया।

अभिषेक कहते हैं, यह लड़ाई इतनी आसान नहीं थी। मेरे जीजा जी गोविंद जी राय की कोशिशों का नतीजा है कि आज आरोपी सलाखों के पीछे है। पुलिस ने तो मामले को रफा-दफा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा था। पुलिस तो शुरु से आरोपियों का साथ दे रही थी।

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अभिषेक के मुताबिक, जब पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर दो दिन में ही इस मामले की फाइनल रिपोर्ट लगाकर मामला रफा-दफा कर दिया तो उनके जीजा गोविंद जी राय 14 नवंबर 2019 को वाराणसी के एडीजी बृज भूषण के जनता दरबार में गुहार लगाकर फाइनल रिपोर्ट कैंसल कराकर दोबारा न्यायायिक जांच का आदेश पारित कराया। उसके बाद भी पुलिस का ढुलमुल रवैया बना रहा।

अभिषेक ने बताया, इसके बाद अप्रैल 2021 में यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया और सब कुछ गम्भीरता से देखा। अदालत ने यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए जल्द जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा।

कोर्ट के आदेश पर गाजीपुर पुलिस ने जांच की और अपनी जांच में अभिशेष राय, पिता उमेश राय, ग्राम-पोस्ट- डेढग़ांव, गाजीपुर यूपी को मनीषा राय की हत्या का दोषी माना। कोर्ट के फटकार और आदेश के बाद अभिशेष राय  ने संरेडर किया। फिलहाल इस समय वह गाजीपुर जेल में है।

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