Wednesday - 10 January 2024 - 12:20 PM

… तो इसलिए चुनाव प्रचार से फिलहाल दूर है महागठबंधन !

पॉलिटिकल डेस्क।

लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंके हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई स्टार प्रचारक एक-एक दिन में कई रैलियां कर रहे हैं, लेकिन देश के सबसे महत्वपूर्ण सूबे उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के नेताओं का प्रचार अभियान अभी शुरू नहीं हुआ है।

उत्तर प्रदेश को लोकसभा चुनाव में सबसे खास माना जाता है यही वजह है कि पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी तक सब यूपी में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करना चाहते हैं। वहीं यूपी की राजनीति में मजबूत दो दल सपा-बसपा इस बार एक साथ हैं और राष्ट्रीय दलों के लिए सर दर्द बने हुए हैं। सपा-बसपा गठबंधन को एक और महत्वपूर्ण दल का साथ मिला हुआ है जो है राष्ट्रीय लोकदल। लोकदल के मुखिया चौधरी अजीत सिंह की पश्चिमी यूपी में खास कर जाट समुदाय में मजबूत पकड़ है। ऐसे में समाजवादी पार्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती का चुनाव प्रचार अभियान शुरू ना होना सबको चौंका रहा है।

राजनीतिक गलियारे में गठबंधन द्वारा प्रचार ना किए जाने को लेकर तरह तरह की चर्चा है, पार्टी सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव और मायावती चुनाव प्रचार इसलिए नहीं कर रहे हैं कि बीजेपी को ध्रुवीकरण करने का मौका ना मिल सके। दरअसल पश्चिमी यूपी में पहले चरण में मतदान होना है। पश्चिमी यूपी में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ध्रुवीकरण करके लाभ लिया था।

भाजपा की रणनीति इस बार भी चुनाव जीतने के लिए ध्रुवीकरण करने की है। ऐसे में अगर अखिलेश और मायावती की जनसभाओं में मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्यां में पहुँचते हैं तो भाजपा इसे मुद्दा बनाकर हिंदुत्व के मुद्दे को धार देगी। यही वजह है कि अखिलेश और मायावती की पहली रैली 7 अप्रैल को देवबंद में प्रस्तावित है। यानी मतदान के महज 4 दिन पहले वे जनता को एक ही मंच से सम्बोधित करेंगे। खास बात यह भी है कि उस वक्त तक योगी और मोदी दूसरे चरण की सीटों पर प्रचार करने के लिए निकल चुके होंगे।

विपक्ष इस बार बीजेपी के जाल में नहीं फंसना चाहता

लोकसभा चुनाव में विपक्ष किसान, अपराध और रोजगार को मुद्दा बनाना चाहता है लेकिन बीजेपी चुनाव में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को मुद्दा बनाना चाहती है। यूपी में हुए पिछले विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो अखिलेश यादव ने विकास को मुद्दा बनाकर जनता से वोट मांगा था वहीं पीएम मोदी ने शमशान-कब्रिस्तान को मुद्दा बनाकर जनता को अपनी ओर खींचने में सफलता हासिल की थी। शायद यही वजह है कि सपा-बसपा और रालोद के नेताओं द्वारा किसी तरह के बयान नहीं दिए जा रहे हैं।

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