Wednesday - 10 January 2024 - 6:48 AM

तो क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ बनाएंगे अपनी पार्टी

पॉलीटिकल डेस्क

मध्य प्रदेश में कांग्रेस में मची रार थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर एकाउंट से अपना कांग्रेसी परिचय हटाया तो सियासी गलियारे में चर्चा तेज हो गई। कयास लगाये जाने लगे कि वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। अभी यह चर्चा थमी नहीं कि सिंधिया को लेकर कांग्रेस के एक विधायक ने बड़ा बयान दिया है।

कांग्रेस के विधायक सुरेश धाकड़ (राठखेड़ा) का विवादित बयान आया है। विधायक का कहना है कि ‘सिंधिया अगर कोई नई पार्टी बनाते हैं तो उस पार्टी में मैं (राठखेड़ा) सबसे पहले जाऊंगा।’

गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से मध्य प्रदेश में चर्चा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस आलाकमान से नाराज हैं। ऐसी खबरों को तब बल मिला जब 25 नवंबर को सिंधिया के ट्विटर अकाउंट पर उनका परिचय बदला हुआ था। हालांकि उन्होंने इसका खंडन किया था।

पिछले कई दिनों से सियासी गलियारे में सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने की चर्चा है। इस बीच कांग्रेस विधायक सुरेश धाकड़ (राठखेड़ा) के बयान का मतलब निकाला जाने लगा है।

दरअसल विधायक सुरेश राठखेड़ा से सिंधिया की नाराजगी को लेकर जब पत्रकारों ने पार्टी छोडऩे की चर्चाओं को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, “पहली बात तो यह है कि महाराज साहब (ज्योतिरादित्य सिंधिया) पार्टी छोड़ रहे हैं मुझे ऐसा नहीं लग रहा। उनके किसी दूसरी पार्टी में जाने का तो सपना आप लोग छोड़ दें। वे इतनी बड़ी ताकत हैं कि जब जो चाहें प्रदेश में कर सकते हैं। जिस दिन चाहेंगे मध्य प्रदेश में अपनी नई पार्टी खड़ी कर सकते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “श्रीमंत महाराज साहब पार्टी बनाते हैं, तो सबसे पहले यही बंदा मिलेगा जो श्रीमंत महाराज साहब के साथ जाएगा, महाराज साहब जहां रहेंगे वहीं मैं रहूंगा। मैं महाराज साहब का ऋणी हूं। पार्टी सर्वोपरि है, लेकिन महाराज उससे भी ऊपर हैं। मैं उनका एक छोटा सा चरण सेवक हूं।”

ऐसे नहीं लगाया जा रहा है कयास

मध्य प्रदेश में सत्ता में कांग्रेस के आने के बाद से वहां उथल-पुथल की स्थिति बनी रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ उतना विपक्षी दल बीजेपी से परेशान नहीं रहे हैं जितना अपनी पार्टी के नेताओं से है। कांग्रेसी नेता आए दिन बयानबाजी कर उनके लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं।

इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के रिश्ते जगजाहिर है। कांग्रेसी खेमा दो धड़ों में बंटा हुआ है। राहुल गांधी के कहने की वजह से सिंधिया ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को छोड़ तो दिया लेकिन कमलनाथ से उनके रिश्ते मधुर नहीं हुए।

फिलहाल अभी ऐसी अटकलें हैं कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ज्योतिरादित्य पार्टी में उपेक्षित चल रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर भी पार्टी के साथ उनकी नाराजगी की खबरें आई थीं। उनके कई समर्थक विधायकों ने इस्तीफे तक का एलान किया था। हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ और केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया।

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